इसरो ने आज (9 सितम्बर 2012) के ही दिन श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था 100वां अंतरिक्ष मिशन
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से अपने 100वें उपग्रह का प्रक्षेपण करके और इसके साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। इस उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में पहुंचाया गया । यह मिशन देश के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहा।
- इसमें भारत के तीन और छह अन्य देशों के 28 उपग्रह शामिल हैं। भारतीय उपग्रहों में से एक 100 किलोग्राम का माइक्रो सैटेलाइट और एक पांच किलोग्राम का नैनो सैटेलाइट शामिल है। बाकी 28 सैटेलाइट कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं। 31 उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO):
- देश की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की स्थापना 1969 में हुई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में ज्ञान हासिल करने के साथ राष्ट्र की तरक्की में उनका इस्तेमाल करना है।
आर्यभट्ट:
- देश के इस पहले उपग्रह का निर्माण महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर किया गया था। इसको तत्कालीन सोवियत संघ ने 19 अप्रैल, 1975 को कॉस्मॉस-3एम रॉकेट से प्रक्षेपित किया था।
- इस उल्लेखनीय उपलब्धि की याद में 1976-97 के बीच एक और दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह के चित्र को छापा गया।
रोहिणी:
- 1980 में स्वदेश निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 से कक्षा में स्थापित किया जाने वाला पहला उपग्रह रोहिणी था। इस उपग्रहों की श्रृंखला को रोहिणी नाम दिया गया।
उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएलवी):
- उपग्रह को लांच करने की तकनीक विकसित करने के लिए आठवें दशक की शुरुआत में सेटेलाइट लांच व्हीकल (एसएलवी) प्रोजेक्ट शुरू हुआ।
- इस प्रोजेक्ट के मुखिया डॉ एपीजे अब्दुल कलाम थे।
- इसको 400 किमी ऊंचाई तक पहुंचने और 40 किलो तक पेलोड ले जाने के लिए विकसित किया गया था।
- यह चार स्टेज वाला रॉकेट था जिसके सभी चरण में ठोस प्रणोदक ईधन का इस्तेमाल हुआ था।
- 10 अगस्त, 1979 को एसएलवी पहली बार श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था और इसकी अंतिम उड़ान 17 अप्रैल, 1983 को हुई थी।
पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV):
- पीएसएलवी को इंडियन रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी उपग्रह) उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया। उससे पहले इस तरह के प्रक्षेपणों के लिए रूस की मदद लेनी पड़ती थी।
- अप्रैल, 2008 में एक साथ 10 उपग्रहों को प्रक्षेपित कर इसने रूस द्वारा स्थापित विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी):
- भू–स्थैतिक कक्षाओं में इनसेट उपग्रहों(संचार उपग्रह) को प्रक्षेपित करने के लिए जीएसएलवी को विकसित किया गया।
- वर्तमान में यह इसरो का सबसे भारी लांच व्हीकल है।
- इसमें क्रायोजेनिक इंजनों का प्रयोग किया जाता है।
इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम (इनसेट):
- इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम (इनसेट) दूरसंचार, प्रसारण और मौसम संबंधी जानकारियों का पता लगाने के लिए बहुउ्देश्यीय भू–स्थैतिक कक्षा में स्थापित होने वाले उपग्रहों की श्रृंखला है। 1983 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम एशिया–प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी घरेलू संचार प्रणाली है।
आइआरएस श्रृंखला
- पृथ्वी का प्रेक्षण करने और रिमोट संवेदी सेवाओं के लिए भारतीय रिमोट संवेदी उपग्रह (आइआरएस) श्रृंखला विकसित की गई है। ओशियनसेट, कार्टोसेट और रिसोर्ससेट इसी तरह के उपग्रह हैं।
कल्पना-1
- 2002 में केवल मौसम संबंधी जानकारियों के लिए समर्पित इस उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया।
- भू–स्थैतिक कक्षा में पीएसएलवी द्वारा स्थापित किया जाने वाला यह पहला उपग्रह था।
- पहले इस उपग्रह का नाम मेटसेट-1 था लेकिन 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की स्मृति में इसका नामकरण किया।
चंद्रयान-1:
- चांद पर पहुंचने वाला पहला भारतीय मानवरहित अभियान था।
- 2008 में इस अभियान को लांच किया गया था। इस अभियान की सफलता को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नए दौर के रूप में देखा गया।
- इस कदम से चंद्रमा पर झंडा फहराने चाला भारत चौथा देश बन गया।
राकेश शर्मा:
- अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय हैं।
- 1984 में भारतीय वायुसेना के इस पायलट को भारत–सोवियत संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत भेजा गया था। उन्होंने साल्युत-7 अंतरिक्ष स्टेशन में आठ दिन बिताए थे।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।