ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (EEF)-2022 और भारत–रूस संबंध
- ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम रूस के सुदूर पूर्व में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष व्लादिवोस्तोक, रूस में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच है।
- यह फोरम विश्व अर्थव्यवस्था के प्रमुख मुद्दों, क्षेत्रीय एकीकरण, औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ रूस और अन्य देशों के समक्ष मौजूद वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक मंच के रूप में काम करता है।
- इसकी स्थापना 2015 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी।
भारत और ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम
- पीएम मोदी ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (EEF) की 7वीं बैठक को संबोधित करते हुए पूरी दुनिया को आर्थिक मंत्र देते हुए कहा कि यह फोरम सहयोग का प्रमुख मंच है। रूस–यूक्रेन युद्ध से सप्लाई चेन पर जो असर हुआ है, ये उसे दुरुस्त करने का जरिया बन सकता है।
- पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय वाणिज्य दूतावास इस महीने व्लादिवोस्तोक में अपनी स्थापना के 30 साल पूरे करेगा। इस शहर में वाणिज्य दूतावास खोलने वाला भारत पहला देश था।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2019 में मुझे इस फोरम में रूबरू हिस्सा लेने का मौका मिला था। उस समय हमने भारत की एक्ट फार ईस्ट (Act Far-East) नीति की घोषणा की थी।
- इसके परिणामस्वरूप रशियन फार ईस्ट के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारत का सहयोग बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि आज यह नीति भारत और रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की एक प्रमुख स्तम्भ बन गई है।
- मोदी ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही हमने डिप्लोमेसी और डायलॉग का मार्ग अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। हम इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करते है।
- यूक्रेन संघर्ष और कोरोना महामारी से ग्लोबल सप्लाई चेन्स पर बड़ा असर पड़ा है। खाद्यान्न, उर्वरक, और ईंधन की कमी विकासशील देशों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह उज्बेकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में पुतिन के साथ मुलाकात करेंगे. इस दौरान उनका सामना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी होगा।
- पुतिन के साथ पीएम मोदी की मुलाकात ऐसे समय में होगी जब जी-7 के देशों ने रूस के तेल की कीमत पर सीमा निर्धारित करने का फैसला किया है।
- भारत और चीन दोनों ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है।
- उन्होंने आगे कहा कि भारत आर्कटिक विषयों पर रूस के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए इच्छुक है।
- ‘Act Far-East’ नीति के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ऊर्जा के साथ-साथ, भारत ने फार्मा और हीरों के क्षेत्रों में भी Russian Far East में महत्वपूर्ण निवेश किए हैं।
- पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारतीय प्रतिभा ने विश्व के कई साधन संपन्न क्षेत्रों के विकास में योगदान दिया है। ऐसे में पूरा विश्वास है भारतीयों की यह प्रतिभा रशियन फार ईस्ट के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है।
- उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर–दक्षिण कॉरिडोर, चेन्नई–व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग कनेक्टिविटी जैसी पहलों के माध्यम से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तेजी लाई जा सकती है।
- उन्होंने कहा कि कोकिंग कोल की आपूर्ति के माध्यम से रूस भारतीय स्टील उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।