एक अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे ई–कचरा प्रबंधन के नए नियम
- देश में ई- कचरे की समस्या जिस तरह से विस्फोटक बनी हुई है, उनमें साल 2023 इसके बेहतर प्रबंधन के लिहाज से काफी अहम होगा। एक अप्रैल 2023 से केंद्र सरकार इनके प्रबंधन के लिए एक नया नियम लागू करने जा रही है।
नए नियमों के तहत री–साइक्लर ही करेंगे इसका संग्रहण:
- नए नियमों में ब्रांड उत्पादकों को ई–कचरे के संग्रहण और रीसाइक्लिंग जैसे जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।
- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ई–कचरे से जुड़े इन नए नियमों को नवंबर 2022 में ही अधिसूचित कर दिया था। जो अब एक अप्रैल 2023 से अमल में लाया जाएगा।
- इस बीच मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। जो जनवरी से मार्च 2023 तक चलेगा। इस दौरान सभी राज्यों में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उत्पादों से जुड़े उद्योगों को इससे जुड़ी जानकारी दी जाएगी।
- यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इन नियमों का पालन न करने पर ब्रांड उत्पादकों पर भारी जुर्माने और आपराधिक कार्रवाई होगी, जिसमें जेल जाना पड़ सकता है। साथ ही उत्पादों के उत्पादन पर रोक भी लग सकती है।
- मंत्रालय ने वैसे तो ई–कचरे के प्रबंधन के लिए वर्ष 2016 में ही नियम तैयार कर लिए थे। लेकिन वह इतने प्रभावी नहीं थे। जिसके चलते ई–कचरे के संग्रहण और रीसाइक्लिंग दोनों ही एक बड़ी समस्या बना हुआ था। फिलहाल मंत्रालय ने इससे जुड़े नियमों को बदल दिया है।
- उल्लेखनीय है कि नए नियम के तहत ई–कचरे के संग्रहण और रीसाइक्लिंग की जिम्मेदारी री–साइक्लर की होगी। इसके बदले उन्हें ई– कचरे से निकलने वाली कीमती धातुएं मिलेगी। साथ ही वह जितना ई– कचरा री–साइकल करेंगे, उतनी मात्रा का सर्टिफिकेट ब्रांड उत्पादकों को बेच सकेंगे।
- गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में हर साल करीब 11 लाख टन ई–कचरा पैदा हो रहा है, उसमें से सिर्फ दस फीसद हिस्से का ही संग्रहण और रीसाइक्लिंग हो पाता है।
- यह स्थित तब है जब देश में साढ़े चार सौ से ज्यादा री–साइक्लर है, जिनकी रीसाइक्लिंग की क्षमता सालाना 14 लाख टन है।