केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ‘कृषि विपणन में सहकारी संस्थाओं की भूमिका’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर कही गयी बातें
- नेफेड लोगों और सरकार के बीच, किसान और सरकार के बीच कड़ी बनने और कई सरकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम कर रही है।
- भारत में कृषि उत्पादों में हम दलहन और तिलहन छोड़कर लगभग आत्मनिर्भर हो चुके हैं।
- पिछले 8 सालों में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए भी कई काम हुए हैं। सबसे बड़ा काम प्रधानमंत्री मोदी ने एमएसपी का मूल्य 50 प्रतिशत मुनाफ़े के साथ जोड़कर करोड़ों किसानों के उत्पाद को उचित मूल्य दिलाने का किया है।
- सहकारिता मंत्रालय की स्थापना से पहले ही प्रधानमंत्री जी ने कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में अत्याधुनिक व्यवस्था लागू करने के लिए कई उपाय किए, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार यानी ई–नाम इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- आज 18 राज्यों और 3 केन्द्रशासित प्रदेशों की 1000 मंडियां ई–नाम के साथ जुड़ चुकी हैं और ई–नाम पोर्टल पर73 करोड़ से अधिक किसान और लगभग ढाई लाख व्यापारी अपना पंजीकरण करा चुके हैं।
- 20 प्रदेशों के 2100 से ज़्यादा एफ़पीओ को ई–नाम पोर्टल से जोड़ा जा चुका है, इन सबके कारण मार्केटिंग में पारदर्शिता भी आई है, ई–नाम प्लेटफार्म पर अब तक 2 लाख करोड़ रूपए से ज़्यादा का व्यापार हो चुका है।
- भारत सरकार पैक्स को बहुद्देश्यीय और मज़बूत बनाने के लिए मॉडल एक्ट ला रही है, 22 अलग–अलग गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार करने जा रही है।
- भारत सरकार द्वारा मार्केटिंग के लिए नए इनीशियेटिव के तहत एक एक्सपोर्ट हाऊस की स्थापना करने जा रहे हैं जो एक मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी होगी।
- भारत सरकार ने अब GeM पोर्टल को अब सहकारी संस्थाओं के लिए पारदर्शी तरीक़े से ख़रीदी के लिए खोल दिया है।
- कृषि उपज एक्सपोर्ट ने इस वर्ष 50 बिलियन डॉलर को पार कर लिया है।
- कॉरपोरेट खेती की जगह कोऑपरेटिव खेती की मांग और चलन बढ़ेगा और कोऑपरेटिव खेती सफल भी होगी।
- कृभको, इफको, अमूल की सफलता की कहानियों को हमें दुनिया के सामने रखना चाहिए क्योंकि शायद ही कुछ देश ऐसे होंगे जो सहकारिता आंदोलन को सालों से सफलता के साथ चला रहे हैं।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2 एवं GS-3, के “विकास परिदृश्य, आर्थिक विकास” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।