गया का विष्णुपद मंदिर
क्यों चर्चा में है?
- बिहार में गया के विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी के प्रवेश करने के मामले में तूल पकड़ लिया है। पहली बार किसी गैर हिंदू के मंदिर में प्रवेश का मामला सामने आया है।
- इस मंदिर में गैर हिंदू का प्रवेश निषेध है।
परिचय:
- विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु का चरण चिह्न ऋषि मरीची की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर है। राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया था, जिसे गयासुर पर रख भगवान विष्णु ने अपने पैरों से दबाया।
- इसके बाद शिला पर भगवान के चरण चिह्न है। माना जाता है कि विश्व में विष्णुपद ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण का साक्षात दर्शन कर सकते हैं।
- यहां भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के स्पर्श से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं।
- विष्णुपद मंदिर सोने को कसने वाला पत्थर कसौटी से बना है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है।
- विष्णुपद मंदिर के ठीक सामने फल्गु नदी के पूर्वी तट पर स्थित है सीताकुंड। यहां स्वयं माता सीता ने महाराज दशरथ का पिंडदान किया था। पौराणिक काल में यह स्थल अरण्य वन जंगल के नाम से प्रसिद्ध था।
- भगवान श्रीराम, माता सीता के साथ महाराज दशरथ का पिंडदान करने आए थे, जहां माता सीता ने महाराज दशरथ को बालू फल्गु जल से पिंड अर्पित किया था, जिसके बाद से यहां बालू से बने पिंड देने का महत्व है।
जीर्णोद्धार:
वर्तमान समय की संरचना का पुनर्निर्माण इंदौर की शासक देवी अहिल्या बाई होल्कर ने 1787 में किया था, लेकिन मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु का चरण सतयुग काल से ही है।