ग्लेशियर को बचाने के लिए की जाएगी ‘स्नो हार्वेस्टिंग’
- हिमाचल प्रदेश के शीत मरुस्थल लाहुल–स्पीति में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों को जलशक्ति विभाग बचाएगा।
- ग्लेशियरों की पिघलने की रफ्तार को कम करने के लिए स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि ग्लेशियर या हिमानी धीमी गति से बहने वाली हिम या बर्फ नदी होती है।
- 53 ऐसे छोटे–बड़े ग्लेशियर चिह्नित किए हैं, जो तेजी से पिघल रहे हैं।
- स्नो हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट नाम की हिमाचल जलशक्ति विभाग की यह योजना 102 करोड़ रुपये की है।
क्या उपाय किये जायेगे?
- जहां सीधी धूप आती हैं, वहां शेड बनाए जाएंगे।
- ग्लेशियरों के मुहानों पर क्रेट वाल (पत्थरों की दीवार) लगाई जाएंगी।
- उपजाऊ भूमि के आसपास बर्फ के स्तूप बनाएं जाएंगे। स्तूप के नीचे भूमि के अंदर कुछ ऊंचाई पर पाइप बिछाई जाती है। इससे निकलने वाला पानी व्यर्थ नहीं जाएगा, अपितु सिंचाई के काम आएगा।
Note: पहले लाहुल स्पीति, हिमाचल में बर्फ लंबे समय तक टिकती थी। इससे क्षेत्र की पेयजल व सिंचाई की जरूरतें पूरी हो जाती थीं। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने से अब बर्फ जल्दी पिघल जाती है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “पर्यावरण संरक्षण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।