चीन समर्थित हैकर भारत समेत कई देशों की सरकारों की कर रहा जासूसी
- चीन सरकार द्वारा कथित रूप से समर्थित एक हैकिंग समूह विश्वभर में सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), समाचार पत्र-पत्रिकाओं और थिंक टैंकों को निशाना बना रहा है। इनमें भारत का नेशनल इंफारमेटिक्स सेंटर (निक) भी शामिल है।
- हैकिंग के लिए यह समूह ई–मेल भेजता है और जब उन्हें खोला जाता है तो उनका इस्तेमाल उनकी लाग–इन के विवरण चुराने में किया जाता है।
- ‘रेडअल्फा‘ नामक यह हैकिंग समूह भारत सरकार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) के बुनियादी ढांचे और सेवाओं का प्रबंधन करने वाले ‘निक‘ के लाग-इन पेजों को लगातार निशाना बनाता रहा है। इस हैकिंग समूह ने सिर्फ पिछले साल ही करीब 350 डोमेन को अपना हथियार बनाया था।
- इस हैकिंग समूह ने इंटरनेशनल फेडरेशन फार ह्यूमन राइट्स (एफआइडीएच), एमनेस्टी इंटरनेशनल, द मर्केटर इंस्टीट्यूट फार चाइना स्टडीज (एमईआरआइसीएस), रेडियो फ्री एशिया (आरएफए), द अमेरिकन इंस्टीट्यूट इन ताइवान (एआइटी) जैसे संगठनों के अलावा अन्य देशों की सरकारों, थिंक टैंक और मानवीय संगठनों को निशाना बनाया जो चीन सरकार के रणनीतिक हितों के दायरे में आते हैं।
- साइबर सिक्यूरिटी फर्म ‘रिकार्डेड फ्यूचर‘ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह समूह जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी निशाना बनाने में शामिल है जिनमें तिब्बती और उइगर समुदायों के लोग और संगठन शामिल हैं।
कंप्यूटरों में सेंध लगाने के लिए भेजे जाते हैं पीडीएफ फाइल वाले ई–मेल:
- हैकिंग समूह ने लोगों को ई-मेल भेजकर निशाना बनाया। इसमें सामान्य पीडीएफ फाइलें होती हैं जिनमें फिशिंग साइटों के लिंक होते हैं। इसमें यूजर्स से कहा जाता है कि फाइलों को प्रिव्यू या डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक करें। पिछले तीन वर्षो में ‘रेडअल्फा‘ ने आपरेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर के बड़े समूहों का इस्तेमाल करके फिशिंग की अपनी गतिविधियों को जारी रखा।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।