जलियांवाला बाग
क्यों चर्चा में है?
- पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर व इतिहास के प्रोफेसर. दरबारी लाल ने बताया कि जलियांवाला बाग पर करोड़ों रुपये खर्च कर उसका पूरा इतिहास ही बदल दिया है।
- जिस कंपनी को इसके सुंदरीकरण का ठेका दिया गया था, उसने किसी भी इतिहासकार को इसमें शामिल ही नहीं किया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या था?
- जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) हुआ था।
- रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए।
- छह अप्रैल 1919 को पूरे भारत में महात्मा गांधी की अपील पर शांतिपूर्ण हड़ताल की गई था। इस हड़ताल की जिम्मेदारी डा. सैफुद्दीन किचलू, डा. सत्यपाल, चौधरी बुग्गा मल, महाशा रत्तो और लाला गिरधारी लाल को दी गई थी। हड़ताल शांतिपूर्ण समाप्त हुई।
- इसके बाद 9 अप्रैल 1919 को रामनवमी पर्व था। अमृतसर के इतिहास में पहली बार हिंदू, मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों ने मिलकर 9 अप्रैल को शोभायात्रा निकाली। बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया गया। यह अद्भुत दृश्य था।
- इसके बाद डा. सैफुद्दीन किचलू और डा. सत्यपाल को गिरफ्तार कर धर्मशाला भेज दिया गया।
- इसी के बाद उनकी रिहाई को लेकर ही 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में लोग एकत्र हुए थे। मगर जनरल डायर ने गोलियां चलवाकर सैकड़ों लोगों को शहीद करवा दिया था।
- इस कांड से पहले शहर के मुख्य नायक रहे डा. सत्यपाल, डा. सैफुद्दीन किचलू, चौधरी बुग्गा मल और महाशय रतन चंद की तस्वीरें तो बाग के अंदर लगी हुई लेकिन उनका क्या योगदान रहा और वह सारा इतिहास वहां से हटा दिया गया है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS-1, के “स्वतंत्रता संग्राम – इसके विभिन्न चरण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।