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जुलाई-सितंबर में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 4.4% तक बढ़ा

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जुलाईसितंबर में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 4.4% तक बढ़ा

  • सितंबर 2022 को समाप्त दूसरी तिमाही में बढ़ते व्यापार अंतर के कारण भारत का चालू खाता घाटा (CAD) 36.4 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 4.4 प्रतिशत है।
  • ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012-13 के तीसरी तिमाही में पूर्ण रूप से पिछला उच्चतम चालू खाता घाटा 31.8 बिलियन डॉलर था।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बयान में कहा कि जून 2022 को समाप्त पहली तिमाही में CAD 18.2 बिलियन डॉलर (GDP का 2.2 प्रतिशत) और एक साल पहले समान अवधि में 9.7 बिलियन डॉलर (GDP का 1.3 प्रतिशत) था
  • RBI ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के दूसरे तिमाही में उच्च चालू खाता घाटा, वस्तुओं से जुड़े व्यापार घाटे को, वित्त वर्ष 2022-23 के पहले तिमाही में 63 बिलियन डॉलर से बढ़कर 83.5 बिलियन डॉलर होने और निवेश आय के तहत शुद्ध आउटगो में वृद्धि के कारण समझा जा सकता है।
  • 29 दिसंबर को जारी आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारी व्यापार घाटे के कारण CAD में वृद्धि, निर्यात के लिए वैश्विक मांग में कमी के प्रभाव को दर्शाती है, भले ही सेवाओं के निर्यात और प्रेषण (Remittances) में वृद्धि मजबूत बनी हुई है।
  • प्राथमिक आय खाते से शुद्ध व्यय, मुख्य रूप से निवेश आय के भुगतान को दर्शाता है, एक साल पहले के 9.8 बिलियन डॉलर से बढ़कर 12 बिलियन डॉलर हो गया। निजी अंतरण रसीदें, जो मुख्य रूप से विदेशों में काम कर रहे भारतीयों द्वारा प्रेषण का प्रतिनिधित्व करती हैं, की राशि 27.4 बिलियन डॉलर थी, जो एक साल पहले के स्तर से 29.7 प्रतिशत की वृद्धि है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भुगतान संतुलन (BoP) की स्थिति के अनुसार, 30.4 बिलियन डॉलर के भंडार में कमी आयी हैयह वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में 31.2 बिलियन डॉलर की अभिवृद्धि के विपरीत है, जिसमें 23 अगस्त, 2021 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 17.86 बिलियन डॉलर के विशेष आहरण अधिकार (SDRs) शामिल थे।
  • आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट ने कहा कि 2022-23 (सितंबर 2022 के अंत) में विदेशी मुद्रा भंडार में 75 अरब डॉलर की गिरावट के लिए, लगभग 66 प्रतिशत को वैल्यूएशन लॉस के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि डॉलर मजबूत हुआ और ट्रेजरी और अन्य सॉवरेन बॉन्ड पर रिटर्न बढ़ा है।
  • अप्रैलसितंबर 2022 के लिए, वस्तु व्यापार घाटे में तेज वृद्धि के कारण देश का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 0.2 प्रतिशत से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत हो गया है

क्या होता है चालू खाते का घाटा?

  • चालू खाते का घाटा और व्यापार घाटा समझने के लिए सबसे पहले हमें भुगतान संतुलन की अवधारणा को समझना होगा।
  • भुगतान संतुलन:
    • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार भुगतान संतुलन एक सांख्यिकी आंकड़ा है जो एक देश के निवासियों के अन्य देशों के साथ एक निश्चित अवधि में किए गए आर्थिक लेनदेन का सार प्रस्तुत करता है
    • निवासी से आशय देश के नागरिकों से नहीं बल्कि उन व्यक्तियों या कंपनियों से है जिनका आर्थिक हित उस देश में है। सरल शब्दों में कहें तो एक देश के निवासी व्यक्ति या कंपनियां और वहां की सरकार एक साल या तिमाही के भीतर अन्य देशों के साथ जब वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी का आयातनिर्यात करते हैं तो आंकड़ों के रूप में दिए गए उसके सार को भुगतान संतुलन कहते हैं
    • जब एक देश के निवासी दूसरे देशों के साथ आर्थिक लेन-देन करते हैं तो भुगतान संतुलन में उन्हें तीन खातों चालू खाता, पूंजी खाता और वित्तीय खाता के रूप में दर्ज किया जाता है।
  • चालू खाते में मुख्यत: तीन प्रकार के लेनदेन शामिल हैं।
    • पहला, वस्तुओं सेवाओं का व्यापार,
    • दूसरा- कर्मचारियों और विदेशी निवेश से आमदनी
    • तीसरा करेंट ट्रांसफर जैसे विदेशों से मिलने वाली अनुदान राशि, उपहार और विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजे जाने वाली रेमिटेंसेज की राशि
  • अगर यह अंतर नकारात्मक है तो इसे चालू खाते का घाटा कहते हैं जबकि सकारात्मक होने पर इसे चालू खाते का सरप्लस कहा जाता है।
  • चालू खाते के घाटे में उतार चढ़ाव का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि इसे जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
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