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न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित

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न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित 27 अगस्त 2022 को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

प्रमुख बिंदु :

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को अगस्त 2014 में बार काउंसिल से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति एस.एम. सीकरी, जिन्होंने 1971 में भारत के 13वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था, के बाद न्यायमूर्ति ललित सीधे बार काउंसिल से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत होने वाले भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे। न्यायमूर्ति ललित ने दो कार्यकालों के लिए सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है।

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित को अपने अब तक के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाने का श्रेय है।

9 नवंबर, 1957 को महाराष्ट्र के सोलापुर में जन्मे, न्यायमूर्ति ललित को जून, 1983 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया था। उन्होंने जनवरी, 1986 में दिल्ली में वकालत शुरू करने से पहले दिसंबर, 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत की।

उन्होंने अक्टूबर 1986 से लेकर 1992 तक श्री सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया और भारत के महान्यायवादी के रूप में श्री सोली जे. सोराबजी के कार्यकाल के दौरान वे भारत सरकार के वकीलों के पैनल में रहे। उन्होंने 1992 से 2002 तक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के रूप में वकालत की और अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। उन्हें वन से संबंधित मुद्दों, वाहनों के प्रदूषण, यमुना के प्रदूषण सहित कई महत्वपूर्ण मामलों में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया था। उन्हें 2जी से संबंधित सभी मामलों में सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था।

विभिन्न न्यायिक नियुक्तियों के लिये निर्धारित प्रक्रिया :

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) :
    • CJI और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य जजों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
    • अगले CJI के संदर्भ में निवर्तमान CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं।
    • हालाँकि वर्ष 1970 के दशक के अतिलंघन विवाद के बाद से व्यावहारिक रूप से इसके लिये वरिष्ठता के आधार का पालन किया गया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश :
    • SC के अन्य न्यायाधीशों के लिये नामों के चयन का प्रस्ताव CJI द्वारा शुरू किया जाता है।
    • CJI कॉलेजियम के बाकी सदस्यों के साथ-साथ उस उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश से भी परामर्श करता है, जिससे न्यायाधीश पद के लिये अनुशंसित व्यक्ति संबंधित होता है।
    • निर्धारित प्रक्रिया के तहत परामर्शदाताओं को लिखित रूप में अपनी राय दर्ज करानी होती है और इसे फाइल का हिस्सा बनाया जाना चाहिये।
    • कॉलेजियम केंद्रीय कानून मंत्री को अपनी सिफारिश भेजता है, जिसके माध्यम से इसे राष्ट्रपति को सलाह देने हेतु प्रधानमंत्री को भेजा जाता है।
  • उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के लिये :
    • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति इस आधार पर की जाती है मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले व्यक्ति संबंधित राज्य से न होकर किसी अन्य राज्य से होगा।
    • यद्यपि उनके चयन का निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जाता है।
    • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सिफारिश CJI और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले एक कॉलेजियम द्वारा की जाती है।
    • हालाँकि इसके लिये प्रस्ताव को संबंधित उच्च न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों से परामर्श के बाद पेश किया जाता है
    • यह सिफारिश मुख्यमंत्री को भेजी जाती है, जो इस प्रस्ताव को केंद्रीय कानून मंत्री को भेजने के लिये राज्यपाल को सलाह देता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

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