‘पंचामृत’ के साथ भारत ने ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन की तरफ बढ़ाया कदम
- जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए भारत ने पेरिस समझौते के अंतर्गत अपना अपडेटेड राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान दस्तावेज यानी नेशनली डिटरमाइंड कंट्रिब्यूशन (एनडीसी) विश्व के सामने प्रस्तुत कर दिया है।
- 23 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में भारत की तरफ से एनडीसी प्रस्तुत किया गया।
- NDC के अनुसार:
- भारत वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन गहनता को 45 प्रतिशत तक कम करेगा। यह कमी वर्ष 2005 के स्तर के सापेक्ष होगी।
- इसके साथ ही भारत अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा माध्यमों से प्राप्त करेगा।
- यह एनडीसी वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने की भारत की दीर्घावधि योजना की तरफ एक और कदम है।
- तीन अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने देश के इस एनडीसी का अनुमोदन किया था। जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा बीते वर्ष नवंबर में ग्लासगो में कान्फ्रेंस आफ पार्टीज (काप) 26 सम्मेलन में सुझाए गए ‘पंचामृत’ भी शामिल हैं।
- पंचामृत:
- स्काटलैंड के ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन (काप-26) के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऋग्वेद के एक मंत्र ‘पंचामृत’ के माध्यम से विश्व को जलवायु संकट के समाधान की राह दिखाई।
- जलवायु को समृद्ध बनाने के लिए भारत का पंचामृत प्रस्ताव लक्ष्य, कार्ययोजना और उपलब्धियों की एकरूपता को व्यक्त करता है।
- इसके अंतर्गत पांच लक्ष्य तय किए गए हैं:-
- पहला, भारत अपनी गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 550 गीगावाट तक बढ़ाएगा।
- दूसरा, 2030 तक हम 50 प्रतिशत ऊर्जा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करेंगे।
- तीसरा, हरित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से कदम बढ़ाते हुए कार्बन उत्सर्जन में इस दशक के अंत तक एक अरब टन की कमी का लक्ष्य है।
- चौथा, ऊर्जा के हरित स्रोतों के विकास के साथ भारत ने अर्थव्यवस्था में कार्बन घनत्व 2030 तक 45 प्रतिशत कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य सामने रखे हैं।
- पांचवां, तरक्की के सभी प्रतिमानों को ऊर्जावान बनाते हुए 2070 तक भारत शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य हासिल कर लेगा।
- स्वस्थ व बेहतर जीवनशैली की अवधारणा को मजबूत बनाने के लिए इस एनडीसी में पीएम द्वारा सुझाए गए ‘लाइफ’ मंत्र को भी शामिल किया गया है। लाइफ यानी पर्यावरण के लिए अनुकूल जीवन शैली जिसका आह्वान पीएम ने कुछ माह पहले देश के लोगों से किया था।
- यह एनडीसी भारत को किसी क्षेत्र विशेष पर रोक या बंदिश लगाने पर विवश नहीं करता है।
- एनडीसी दस्तावेज कहता है कि जलवायु परिवर्तन पर भारत पेरिस समझौते और यूएनएफसीसीसी के तहत अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।
- पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी अहम क्षेत्रों में निम्न कार्बन की पहल को सशक्त करता है।
Note: भारत ने पहली बार अपना एनडीसी दो अक्टूबर 2015 को सौंपा था, जिसमें आठ लक्ष्य तय किए गए थे। इसमें वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा को कुल बिजली उत्पादन के 40 प्रतिशत तक पहुंचाना, 2005 के स्तर से अर्थव्यवस्था का कार्बन उत्सर्जन 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना और अधिक वन क्षेत्र बनाकर 2.5 से तीन अरब टन कार्बन डाईआक्साइड का अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार करने के लक्ष्य शामिल थे।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS-3, के “अर्थव्यवस्था के टॉपिक समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे तथा पर्यावरण संरक्षण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।