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परमाणु ऊर्जा

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज बताया कि देश में कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा 2014 से लगभग 3 से 3.5 प्रतिशत बना हुआ है।

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वास्तविक वाणिज्यिक उत्पादन वर्ष 2014 में 34162 मिलियन यूनिट से बढ़कर वर्ष 2021 में 43918 मिलियन यूनिट हो गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा परमाणु ऊर्जा इकाइयों और सभी बिजली उत्पादन प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पादन पर निर्भर करता है। कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का हिस्सा देश में अधिक परमाणु ऊर्जा क्षमता को शामिल करके बढ़ाने की योजना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश को स्थायी रूप से दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत ने एक स्वदेशी तीन चरणों वाला परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को जारी रखा है। इसके अलावा, विदेशी सहयोग पर आधारित लाइट वाटर रिएक्टर भी अतिरिक्त रूप में स्थापित किए जा रहे हैं। देश को स्वच्छ बिजली उपलब्ध कराने के लिए परमाणु ऊर्जा का विस्तार कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

परमाणु ऊर्जा

  • परमाणु ऊर्जा का निर्माण एक रिएक्टर में परमाणुओं को विखंडित कर किया जाता है, जिसका उपयोग जल को गर्म कर भाप बनाने, उससे टरबाइन चलाने और इस प्रकार बिजली उत्पन्न करने के लिये किया जाता है।
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अंदर, परमाणु रिएक्टर और उनके उपकरण शृंखला प्रतिक्रियाओं को संतुलित और नियंत्रित करते हैं, जहाँ विखंडन के माध्यम से ऊष्मा के उत्पादन के लिये प्रायः यूरेनियम-235 ईंधन का उपयोग किया जाता है।
  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन से उत्सर्जन : परमाणु ऊर्जा शून्य-उत्सर्जन करती है। इसमें कोई ग्रीनहाउस गैस या वायु प्रदूषक नहीं होते।
  • भूमि उपयोग : अमेरिकी सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 1,000 मेगावाट क्षमता के परमाणु संयंत्र को इतनी ही क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र या ‘विंड फार्म’ की तुलना में 360 गुना कम और सौर संयंत्रों की तुलना में 75 गुना कम भूमि की आवश्यकता होती है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा बनाम परमाणु ऊर्जा :
    • नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत अस्थिर हैं : सौर और पवन ऊर्जा प्रायः अस्थिर स्रोत मानें जाते हैं। इन स्रोतों से बिजली तभी पैदा की जा सकती है, जब सूरज चमक रहा हो या पवन बह रही हो।
      • सर्वाधिक अनुकूल परिदृश्य में भी, सौर और पवन संयंत्र 24X7 बिजली उत्पन्न नहीं करते या नहीं कर सकते, ऐसे में जीवाश्म-ईंधन के अतिरिक्त उपयोग की आवश्यकता होती है।
      • वर्तमान में ब्रिटेन की 24% बिजली पवन ऊर्जा से प्राप्त होती है। लेकिन इस वर्ष उसे अप्रत्याशित ‘पवन-विहीन ग्रीष्म’ (Windless Summer) का सामना करना पड़ा, जो ब्रिटेन के बिजली संकट के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा से पारिस्थितिक क्षति : पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाएँ जिन क्षेत्रों में स्थापित की जाती हैं, वहाँ पारिस्थितिक क्षति का कारण बन सकती हैं।
      • मोटे तौर पर से यह अनुमान लगाया जाता है कि अमेरिका में पवन टरबाइनों से टकराकर प्रतिवर्ष 500,000 पक्षी मारे जा रहे हैं।
    • एक विकल्प के रूप में परमाणु ऊर्जा : सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोतों की अस्थिर प्रकृति के विपरीत, परमाणु ऊर्जा का उपयोग इलेक्ट्रिक बेस लोड की पूर्ति और पीक लोड परिचालन—दोनों के लिये किया जा सकता है।
      • विदित है कि जर्मनी के घरेलू क्षेत्र में बिजली का मूल्य 37 डॉलर प्रति किलोवाट-घंटा (KwH) है, जो कि यूरोपीय संघ में सबसे अधिक है, जबकि फ्राँस में यह मात्र 0.19 डॉलर है।
      • फ्राँस में बिजली बहुत सस्ती और स्वच्छ है, क्योंकि फ्राँस मुख्य रूप से परमाणु ऊर्जा पर निर्भर है।
      • वर्ष 2020 में, फ्राँस द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का 78% परमाणु ऊर्जा से प्राप्त हुआ और नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 19% था। इसमें जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा की हिस्सेदारी केवल 3% थी।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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