पारसी नव वर्ष
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पारसी नव वर्ष के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है।
पारसी समुदाय के लोग नए साल का जश्न बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। भारत में पारसी नव वर्ष या नवरोज 16 अगस्त 2022 यानी आज मनाया जा रहा है।
हर धर्म और समुदाय में नए साल की तिथि अलग-अलग निर्धारित की गई है. जैसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल दुनिया भर में जनवरी की पहली तारीख को मनाया जाता, हिंदू धर्म में चैत्र माह के साथ नए साल की शुरुआत होती है, वहीं बंगाली समुदाय के लोग वैशाख माह के पहले दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं। ठीक इसी तरह से पारसी समुदाय के लोगों द्वारा ईरानी कैलेंडर के नव वर्ष मनाया जाता है।
भारत में पारसी नववर्ष 16 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। नववर्ष नवरोज का इंतजार पारसी समुदाय के लोग सालभर करते हैं। इस दिन घर की साज-सजावट की जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाकर धूमधाम से इसे परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है।
पारसी नववर्ष की तिथि
वैसे तो पारसी नववर्ष मार्च महीने में मनाया जाता है। लेकिन भारत में रहने वाले पारसी समुदाय के लोग दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह इसे मार्च नहीं बल्कि अगस्त के महीने में मनाते हैं। भारत में पारसी नव वर्ष की तारीख का अलग होने का कारण यह है कि भारत में रहने वाले पारसी समुदाय के लोग शहंशाही कैलेंडर को मानते हैं। इस कैलेंडर में लीप ईयर नहीं होता। इसलिए इस साल भी पारसी नव वर्ष भारत में 16 अगस्त को मनाया जा रहा है।
पारसी नव वर्ष का इतिहास और परंपरा
पेरिस के लोग फारस के मूल निवासी हैं, उनका धर्म पारसी है। इसकी खोज जरथुस्त्र ने फारस में ही की थी। पारसी नव वर्ष समारोह जमशेद-ए-नौरोज के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसका नाम फारस के राजा जमशेद के नाम पर रखा गया है, उन्होंने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोगों ने 3000 साल पहले पारसी नव वर्ष के जश्न के साथ इसकी शुरुआत की थी।
पारसी नव वर्ष को नवरोज के नाम से भी जाना जाता है। नव का अर्थ है नया और रोज का अर्थ है दिन अर्थात नवरोज। अंग्रेजी कैलेंडर में साल 365 दिनों का होता है, जबकि पारसी समुदाय के लोग 360 दिनों का ही साल मानते हैं, बाकी के पांच दिन गाथा के रूप में मनाए जाते हैं। पांच दिन जब परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, तो उसे गाथा कहा जाता है
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1