पूर्व तिथि से लागू नहीं हो सकता संशोधित बेनामी लेनदेन कानून: सुप्रीम कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3(2) स्पष्ट रूप से मनमानी होने के कारण असंवैधानिक थी और कानून में 2016 के सख्त संशोधन को पूर्व तिथि से लागू नहीं किया जा सकता है।
- मुख्य न्यायाधीश NV रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस सीमा कोहली की पीठ ने कहा कि “संशोधित 1988 के अधिनियम की धारा 3(2) को स्पष्ट रूप से मनमाने होने के कारण असंवैधानिक घोषित किया जाता है। तदनुसार 2016 के अधिनियम की धारा 3(2) असंवैधानिक है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 20(1) का उल्लंघन है।”
संविधान का अनुच्छेद – 20 (कार्योत्तर विधियों से संरक्षण):
- संविधान के अनुच्छेद 20 में यह कहा गया है कि कोई व्यक्ति अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा जब तक कि उसने ऐसा कुछ करने के समय जो अपराध के रूप में आरोपित है ।
- अभिप्राय यह हुआ कि किसी भी व्यक्ति को केवल ऐसे कार्य के लिए दंडित किया जा सकता है जो उसे किए जाने के समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन दंडनीय अपराध हो। यदि कार्य के लिए किए जाने के समय वह किसी विधि के अधीन दंडनीय अपराध नहीं है तो बाद में कोई विधि बनाकर उसे दंडनीय नहीं बनाया जा सकता है।
- किसी भी दांडिक विधि को भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है।
- शीर्ष अदालत ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के उक्त प्रावधानों को रद्द कर दिया।
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संशोधन अधिनियम उन लेनदेन पर लागू होगा जो बदलाव लागू होने के बाद हुए थे। इस कानून को पूर्व तिथि से लागू नहीं किया जा सकता है।
क्या है बेनामी संपत्ति?
- बेनामी संपत्ति वो प्रॉपर्टी होती है जो खरीदता कोई और है और नाम किसी और के होती है. इस तरह के संपत्ति के वास्तविक मालिक का नाम छुपाया जाता है. जैसे- कई लोग अपनी कमाई से प्रॉपर्टी खरीदते हैं और उसे किसी रिश्तेदार, पत्नी, बच्चों के नाम कर देते हैं।
- आय का वास्तविक स्रोत छिपाने के लिए ऐसा किया जाता है. सम्पत्ति जिनके नाम पर की जाती है उसे बेनामीदार कहते हैं।
- बेनामी इसलिए होती है क्योंकि उस प्रॉपर्टी को खरीदने पर भुगतान के रूप में कोई वैध दस्तावेज नहीं पेश किया जाता।
- इस तरह के मामलों में कार्रवाई होने पर बेनामी लेनदेन से जुड़े दोनों पक्षों को जिम्मेदार बताया जाता है।
क्या कहता है बेनामी संपत्ति कानून?
- वर्तमान में जो बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) कानून 2016 है वह कहता है कि उस संपत्ति को बेनामी समझा जाएगा जो किसी गलत या फर्जी नाम से खरीदी गई।
- नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति का लेन–देन करने की पुष्टि होने पर 3 से 7 साल की जेल हो सकती है।
- इसके अलावा उस प्रॉपर्टी की जो मार्केट वैल्यू है उसका 25 फीसदी जुर्माना वसूला जा सकता है।