प्रधानमंत्री जन–धन योजना (PMJDY)
- वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय मिशन ने अपने सफल कार्यान्वयन के आठ साल पूरे किए। पीएमजेडीवाई की शुरुआत से लेकर अब तक25 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खाते खुले और उसमें 1,73,954 करोड़ रुपये जमा हुए।
- वित्तीय समावेशन की अपनी पहलों के जरिए, वित्त मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले और अब तक सामाजिक–आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों का वित्तीय समावेशन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्तीय समावेशन (एफआई) के माध्यम से हम देश में एक समान और समावेशी विकास को हासिल कर सकते हैं।
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- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पहल है, जो वित्तीय समावेशन से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गरीबों की बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का अवसर प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन–धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस योजना की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस मौके को गरीबों की एक दुष्चक्र से मुक्ति का उत्सव कहा था।
- सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ व्यापक पीएमजेडीवाई कार्यक्रम को 28 अगस्त 2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
विशेषताएं:
- यह योजना निम्नलिखित छह स्तंभों पर शुरू की गई थी:
- बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच।
- प्रत्येक पात्र वयस्क को 10,000/- रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बचत बैंक खाता।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम– बचत को बढ़ावा, एटीएम का इस्तेमाल, क्रेडिट के लिए तैयार होने, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाने, बैंकिंग से जुड़े कार्यों के लिए बेसिक मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ावा देना।
- क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण- बकाया मामले में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करने के लिए।
- बीमा- 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खातों पर 1,00,000 रुपये तक का दुर्घटना बीमा और 30,000 रुपये का जीवन बीमा। 8.2018 के बाद खोले गए पीएमजेडीवाई खातों के लिए रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है।
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना।
PMJDY की सफलता:
- 28 अगस्त 2014 से पीएमजेडीवाई की सफलता 46 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलने और उसमें74 लाख करोड़ जमा होने से स्पष्ट पता चलती है।
- इसका विस्तार 67 फीसदी ग्रामीण या अर्ध–शहरी क्षेत्रों तक हो चुका है और 56 फीसदी जनधन खाताधारक महिलाएं हैं।
- इन खातों के जरिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रवाह को बढ़ाकर इनके इस्तेमाल पर अतिरिक्त जोर देने के साथ ही, रुपे कार्ड आदि के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर ‘हर घर‘ से अब ‘हर वयस्क‘ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।