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फाइव-अलार्म ग्लोबल फायर

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संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में घोषणा की थी कि 2022 में दुनिया को पांच प्रमुख जोखिमों का सामना करना पड़ेगा। इन जोखिमों को फाइव-अलार्म ग्लोबल फायर (five – alarm global fire) कहा जाता है। इसमें शामिल हैं : कम होती शांति और सुरक्षा, साइबर स्पेस में अराजकता, जलवायु संकट, दिवालिया वैश्विक वित्तीय प्रणाली और कोविड-19 महामारी।

इसका समाधान क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र ने सुझाव दिया है कि इन जोखिमों को रोकने या कम करने के लिए देशों को आपातकालीन मोड में जाना चाहिए।
  • जलवायु संकट से निपटने के लिए “हिमस्खलन कार्रवाई” (avalanche action) समय की मांग है। दशक के अंत तक वैश्विक उत्सर्जन को 45% तक कम किया जाना चाहिए।

वर्तमान परिदृश्य

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, महामारी अमीरों के पक्ष में है और गरीबों को दंडित कर रही है। वैश्विक वित्तीय प्रणाली दिवालिया है। दरअसल, एक अच्छी विश्वसनीय और मजबूत वित्तीय प्रणाली को देशों को उनकी ख़राब वित्तीय स्थिति के दौरान समर्थन देना चाहिए। दुर्भाग्य से, अब ऐसा नहीं हो रहा है। एकतरफा निवेश किया जा रहा है। इससे एकतरफा रिकवरी हो रही है।
  • इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने की जरूरत है। तीन अरब से ज्यादा लोग अभी भी ऑफलाइन हैं, यानी इंटरनेट तक उनकी पहुंच नहीं है।
  • विश्व की सरकारों को डेटा के दुरुपयोग, साइबर अपराध और गलत सूचना पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
  • मध्यम आय वाले देश कर्ज राहत से वंचित हैं। गरीब देश सबसे धीमी वृद्धि या बिल्कुल भी विकास नहीं कर पा रहे हैं।
  • गरीब और मध्यम आय वाले देश जबरन पलायन का सामना कर रहे हैं।
  • पूरी दुनिया में व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग और हेरफेर किया जा रहा है। मानवाधिकारों का भारी उल्लंघन और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है।

जलवायु संकट

तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के मामले में दुनिया पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। 2015 में हस्ताक्षरित पेरिस समझौते का उद्देश्य पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करना है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1PRE

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