भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा जारी
- भारत में 7,500 किमी लंबी तटरेखा, जहाजों के चलने योग्य 14,500 कि.मी. संभावित जलमार्ग और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों पर सामरिक ठिकाने हैं।
- मात्रा के हिसाब से भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार और मूल्य के हिसाब से 65 प्रतिशत बंदरगाहों द्वारा सुगम समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है।
- पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की सागरमाला परियोजना के तत्वावधान में बंदरगाह आधारित विकास की अनेक पहलों की पहचान की गई और उन्हें शुरू किया गया है।
- भारतीय बंदरगाह कानून, 1908 (“कानून“) 110 वर्ष से अधिक पुराना है। यह अनिवार्य हो गया है कि कानून को वर्तमान ढांचे को प्रतिबिंबित करने, भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को शामिल करने, उभरती पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने और राष्ट्रीय हित में बंदरगाह क्षेत्र के परामर्शी विकास में सहायता करने के लिए संशोधित किया जाए।
- तदनुसार, समुद्री संधियों और अंतरराष्ट्रीय साधनों, जिनमें भारत एक पक्ष है; के तहत देश के दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, बंदरगाहों पर प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए बंदरगाहों से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 (“आईपी विधेयक 2022”) का मसौदा तैयार किया गया है।
- मसौदा आईपी विधेयक 2022 मौजूदा 1908 कानून को निरस्त करेगा और उसका स्थान लेगा।
- प्रस्तावित विधेयक के उद्देश्य हैं:
- विशुद्ध रूप से परामर्शी और अनुशंसात्मक ढांचे के माध्यम से आपस में राज्यों और केन्द्र-राज्यों के बीच एकीकृत योजना को बढ़ावा देना;
- अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारत के दायित्वों को शामिल करते हुए भारत में सभी बंदरगाहों के लिए प्रदूषण उपायों की रोकथाम सुनिश्चित करना;
- बढ़ते बंदरगाह क्षेत्र के लिए आवश्यक विवाद समाधान ढांचे में कमियों को दूर करना;
- डेटा के उपयोग के माध्यम से विकास और अन्य पहलुओं में पारदर्शिता और सहयोग की शुरूआत।
- प्रस्तावित विधेयक समुद्री क्षेत्र के विकास को एक समान और सुव्यवस्थित करेगा, साथ ही अनावश्यक देरी, असहमति और जिम्मेदारियों को परिभाषित करके व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देगा।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के अर्थ व्यवस्था के बुनियादी ढांचा वाले पाठ्यक्रम के सीधे तौर से जुड़ा हुआ है।