मिथिला के मखाने को मिला जीआई टैग
- केंद्र सरकार ने मिथिला के मखाना को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographical Indication Tag) दे दिया है।
- इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा।
- मिथिला के मखाने अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है। भारत के 90% मखानों का उत्पादन यहीं से होता है।
- यह ऐसी फसल है, जिसे पानी में उगाया जाता है। मखाने में करीब 7 ग्राम प्रोटीन और 14.5 ग्राम फाइबर होता है। यह कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है।
- इससे पहले बिहार की मधुबनी पेंटिंग, कतरनी चावल, मगही पान, सिलाव का खाजा, मुजफ्फरपुर की शाही लीची और भागलपुर के जरदालू आम को जीआई टैग दिया जा चुका है।
क्या है जीआई टैग?
- वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रॉडक्ट, जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्ठा मुख्य रूप से प्राकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है।
- भारत में संसद की तरफ से सन् 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट (Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999) के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स’ लागू किया था।
- इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है। ये टैग किसी खास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या फिर तैयार की जाने वाली वस्तुओं के दूसरे स्थानों पर गैर–कानूनी प्रयोग को रोकना है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “आर्थिक विकास एवं विज्ञान & प्रौद्योगिकी” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।