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मोतीलाल तेजावत

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73वें गणतंत्र दिवस परेड में गुजरात की झांकी में पाल और दाधवाव के गांवों में हुए नरसंहार को दिखाया गया। यह नरसंहार 1922 में हुआ था। इस नरसंहार के दौरान लगभग 1,200 आदिवासियों को अंग्रेजों ने बेरहमी से मार डाला था।

मुख्य बिंदु

7 मार्च, 1922 को एक आदिवासी नेता मोतीलाल तेजावत 10,000 भील आदिवासियों को संबोधित कर रहे थे। ये आदिवासी एकी आंदोलन (Eki movement) का हिस्सा थे और दाधवाव गांव (अब गुजरात में साबरकांठा जिला) से थे। सभा ने जागीरदार से संबंधित कानूनों, भू-राजस्व व्यवस्था और ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू किए गए रजवाड़ा से संबंधित कानूनों का विरोध किया। मेजर एच.जी. सुटन ने फायरिंग का आदेश जारी किया। आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने 1,200 से अधिक निर्दोष लोगों को मार डाला। इस घटना को पाल दाधवाव शहीद (Pal Dadhvav Martyrs) कहा जाता है। क्षेत्र के कुएं आदिवासियों के शवों से भरे हुए थे।

मोतीलाल तेजावत

मोतीलाल तेजावत (१६ मई, १८९६-१४ जनवरी १९६3) ‘आदिवासियों का मसीहा’ के नाम से जाने जाते हैं। इन्होंने वनवासी संघ की स्थापना की। इन्होंने भील, गरासिया तथा अन्य खेतिहरों पर होने वाले सामन्ती अत्याचार का विरोध किया और उन्हें एकजुट किया।

सन 1920 में आदिवासियों के हितों को लेकर ‘मातृकुंडिया’ नामक स्थान पर एकी नामक आन्दोलन शुरू किया। इन्होंने किसानों से बेगार बन्द बनाई और कामगारों को उनकी उचित मजदूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आदीजा के बाद उदयपुर व चित्तौडगढ़ से लोकसभा सदस्य रहे तथा राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। इनका जन्म १८९६ को कोल्यारी गांव, उदयपुर में हुआ। १४ जनवरी १९६९ को इनकी मृत्यु हो गई

झांकी के बारे में

झांकी का अग्रभाग आदिवासियों और उनकी लड़ाई की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। पिछले हिस्से में नरसंहार को दर्शाया गया है। इसके साथ कलाकारों ने “गेर” नृत्य किया।

भील आदिवासी (Bhil Tribals)

भील आदिवासी पश्चिमी भारत में जातीय समूह हैं। 2013 तक, भील देश के सबसे बड़े आदिवासी समूह थे। वे राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों में फैले हुए हैं।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1

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