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यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO)

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यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO)

क्यों चर्चा में है?

  • हाल ही में चित्रदुर्ग के श्री मुरुघ मठ के पुजारी, डॉ शिवमूर्ति मुरुघ शरणारू के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पॉक्सो एक्ट क्या है?

  • स्पष्ट और अधिक कड़े कानूनी प्रावधानों के माध्यम से बच्चों के यौन शोषण और यौन उत्पीड़न के जघन्य अपराधों को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 को लाया गया।

  • विभिन्न अपराधों के लिए सजा बढ़ाने के प्रावधान करने के लिए 2019 में अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि अपराधियों में भय पैदा किया जा सके और बच्चे के लिए एक बेहतर, सुरक्षित  और सम्मानजनक बचपन सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्य विशेषताएं:

  • यह अधिनियम लैंगिक तटस्थ है और बच्चे के स्वस्थ शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए ह स्तर पर बच्चे के सर्वोत्तम हितों और कल्याण को सर्वोपरि महत्व देता है।
  • अधिनियम एक बच्चे को अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है।
  • बच्चों को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी के अपराधों से बचाने और ऐसे अपराधों और संबंधित मामलों और घटनाओं के परीक्षण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए अधिनियम बनाया गया है।
  • यह यौन शोषण के विभिन्न रूपों को परिभाषित करता है।

Note: यह प्री में सूचना मेंस के GS -2, के आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का प्रदर्शन; इन कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकायवाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।

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