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लिपुलेख

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भारत वर्तमान में लिपुलेख दर्रे की सड़क को चौड़ा कर रहा है। नेपाली सत्ता पक्ष ने हाल ही में एक बयान जारी कर इस पर आपत्ति जताई है। साथ ही नेपाल ने भारत से इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की है। नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों पर भी दावा किया है।

ताजा मामला क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि भारत लिपुलेख दर्रे (Lipulekh pass) तक सड़क का विस्तार करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने ये टिप्पणी दिसंबर 2021 में हल्द्वानी की अपनी यात्रा के दौरान की थी। इसके बाद से सीमा विवाद फिर से उठ खड़ा हुआ है।

मानचित्र से जुड़ा विवाद

2020 में, नेपाल ने संशोधित राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित किया था। इस मानचित्र में लिंपियाधुरा क्षेत्रों को शामिल किया गया, विशेष रूप से काली नदी का स्रोत।

सुगौली संधि मुद्दा

1816 में, ब्रिटिश भारत और नेपाल ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए। नेपाल द्वारा एंग्लो-नेपाली युद्ध हारने के बाद इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि के अनुसार, राप्ती और काली नदियों के बीच की पूरी तराई ब्रिटिश भारत की होगी। हालाँकि, इस संधि में रिजलाइन के बारे में बात नहीं की गई थी। अंग्रेजों द्वारा किए गए बाद के सर्वेक्षणों ने विभिन्न क्षेत्रों में काली नदी के स्रोत को दिखाया। दोनों देशों के बीच का विवाद इस क्षेत्र के सीमांकन को लेकर है।

कालापानी का महत्व

कालापानी क्षेत्र में लिपुलेख दर्रा कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रा के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

विवाद की जड़?

वर्तमान में, तीनों क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा भारत के नियंत्रण में हैं। लेकिन नेपाल भी इन क्षेत्रों पर दावा करता है।

नेपाल का रुख

नेपाल के अनुसार काली नदी का उद्गम लिंपियाधुरा के निकट पर्वत श्रृखंलाओं की ऊंचाई पर है। इस प्रकार, लिंपियाधुरा का संपूर्ण ढलान और क्षेत्र नेपाल के अंतर्गत आता है।

भारत का रुख

सीमा कालापानी से शुरू होती है, यानी ठीक वहीं से नदी शुरू होती है। भारत के अनुसार, नदी का उद्गम लिपुलेख दर्रे के झरनों से होता है। भारत के 19वीं शताब्दी के प्रशासनिक रिकॉर्ड बताते हैं कि कालापानी भारतीय पक्ष में स्थित था।

सुस्ता क्षेत्र विवाद

भारत और नेपाल के बीच भी सुस्ता क्षेत्र में सीमा विवाद है। यह विवाद गंडक नदी का रुख बदलने को लेकर है।

लिपुलेख ला

लिपुलेख ला (Lipulekh Pass) या लिपुलेख दर्रा या लिपुलेक भञ्ज्याङ हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले और चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत के न्गारी विभाग के बीच हिमालय में स्थित है। यह भारत के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत और तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है। यह नेपाल की सीमा के समीप भी स्थित है और नेपाल इस क्षेत्र को अपना होने का दावा करता है। नेपाल के अनुसार यह दार्चुला ज़िले की ब्यास गाँउपालिका में है।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.2

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