कर्नाटक में बेलूर, हालेबिड और सोमनाथ पुरा के होयसला मंदिरों को भारत से वर्ष 2022-2023 के लिए विश्व विरासत सूची के लिए नामांकित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- 15 अप्रैल 2014 से, ‘होयसल मंदिरों’ यूनेस्को की संभावित सूची में हैं।
- यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के साक्षी हैं।
होयसल मंदिरों का नामांकन
यूनेस्को को होयसल मंदिरों का नामांकन यूनेस्को के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यूनेस्को के विश्व विरासत निदेशक लाज़ारे एलौंडौ को नामांकन प्रस्तुत किया गया था। डोजियर जमा करने के बाद तकनीकी जांच की जाएगी। सितंबर या अक्टूबर 2022 में साइट का मूल्यांकन किया जाएगा और जुलाई या अगस्त 2023 में डोजियर पर विचार किया जाएगा।
संरक्षित स्मारक
होयसल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारक हैं।
बेलूर में होयसल मंदिर (Sacred Ensembles of the Hoysala at Belur)
चेन्नाकेशव मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह यागाची नदी के तट पर स्थित पुराने दीवारों वाले शहर के केंद्र में था। इसका निर्माण 1117 ई. में शुरू हुआ और 103 वर्षों में यह पूरा हुआ। इसके परिसर से लगभग 1117-18वीं शताब्दी के शिलालेख प्राप्त हुए हैं। इस मंदिर के बाहरी हिस्से में बड़े पैमाने पर तराशी गई मूर्तियां शामिल हैं जो दैनिक जीवन, नृत्य और संगीत के दृश्यों को दर्शाती हैं। ये दृश्य भगवान् विष्णु के जीवन और उनके पुनर्जन्म का वर्णन करते हैं। यह रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों का भी वर्णन करता है।
हालेबिड में होयसला मंदिर (Sacred Ensembles of the Hoysala at Belur)
हालेबिड में होयसलेश्वर मंदिर 1121 ई. में होयसल राजा विष्णुवर्धन होयसलेश्वर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह द्वारसमुद्र के व्यापारियों और धनी नागरिकों द्वारा प्रायोजित और निर्मित किया गया था। यह मंदिर बाहरी दीवार पर 240 से अधिक दीवार की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
होयसल राजवंश (Hoysala Dynasty)
होयसल वंश दक्षिण भारत में 1110 ईस्वी और 1326 ईस्वी के बीच अस्तित्व में था, इसकी स्थापना नृपा काम द्वितीय या साला ने की थी। इसकी राजधानी शुरू में बेलूर में थी, लेकिन बाद में यह हालेबिड स्थापित की गई। इस राजवंश ने मैसूर, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के आधुनिक राज्यों के कुछ हिस्सों पर शासन किया।
यूनेस्को
- यूनेस्को (UNESCO) यानी ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization)’ संयुक्त राष्ट्र का ही एक भाग है।
- मुख्यालय – पेरिस (फ्राँस)
- गठन – 16 नवंबर, 1945
- कार्य – शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।
- उद्देश्य – इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए।
SOURCE-DANIK JAGRAN
PAPER-G.S.1