सतलुज–यमुना सम्पर्क नहर विवाद
क्यों चर्चा में है?
- केंद्र सरकार ने 6 सितंबर 2022 को उच्चतम न्यायालय से कहा कि पंजाब सरकार उसके और हरियाणा के बीच सतलुज–यमुना संपर्क (एसवाईएल) नहर विवाद को सुलझाने में ‘‘सहयोग नहीं’’ कर रही है।
- शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि पानी एक प्राकृतिक संसाधन है और जीवित प्राणियों को इसे साझा करना सीखना चाहिए। उसने कहा कि पक्षकारों को ‘‘व्यापक दृष्टिकोण’’ अपनाने की आवश्यकता है।
- उसने परियोजना को लेकर हिंसा की कभी–कभी होने वाली घटनाओं का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर पक्षकारों को बातचीत करके समाधान निकालने के प्रभाव और जरूरत को समझना होगा।
क्या है सतलुज–यमुना सम्पर्क नहर विवाद?
- यह जल विवाद 1966 में उस समय शुरू हुआ, जब पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत पूर्ववर्ती पंजाब को पंजाब और हरियाणा में विभाजित किया गया और दोनों राज्यों के बीच नदी के पानी को साझा करने की आवश्यकता पैदा हुई।
- बहरहाल, पंजाब ने ‘रिपेरियन सिद्धांत’ का हवाला देते हुए, हरियाणा के साथ रावी और ब्यास नदियों के पानी को साझा करने का विरोध किया। इस सिद्धांत के अनुसार किसी जलाशय से सटी भूमि के मालिक को उसके पानी का उपयोग करने का अधिकार है। पंजाब ने यह भी तर्क दिया कि उसके पास अतिरिक्त पानी नहीं है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।