सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल, क्या इंटरनेट बंद करने का कोई प्रोटोकॉल है:
- उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में केंद्र से पूछा कि इंटरनेट बंद करने पर कोई ‘प्रोटोकॉल’ है।
- प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि याचिका में पक्षकार बनाए गए चार राज्यों को नोटिस जारी करने के बजाय वह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को नोटिस जारी करेगी। पीठ ने कहा, ‘हम केवल केंद्र (एमईआईटीवाई) को नोटिस जारी करते हैं कि क्या इस शिकायत के संबंध में कोई मानक प्रोटोकॉल है या नहीं।‘
- सॉफ्टवेयर लॉ सेंटर की ओर से दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए भी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। वकील वृंदा ग्रोवर ने पीठ को बताया कि कलकत्ता और राजस्थान के उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गई थीं।
- पीठ ने कहा कि अनुराधा भसीन मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर अमल को लेकर उच्च न्यायालयों से अनुरोध किया जा सकता है।
- ‘अनुराधा भसीन बनाम भारत सरकार’ मामले में, शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि “इंटरनेट सेवाओं पर एक अपरिभाषित प्रतिबंध अवैध है और इंटरनेट बंद करने के आदेशों को आवश्यकताओं और आनुपातिकता की जांच में खरा उतरना चाहिए”।
- जनहित याचिका में हाल ही में राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के दौरान भी इंटरनेट बंद किये जाने का उल्लेख किया गया है।
Note: यह सूचना प्री तथा मेंस के GS -2, के “भारतीय संविधान महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।