सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने 15 जनवरी यानी सेना दिवस पर लड़ाकू अभियानों के लिए भारतीय सेना की नई वर्दी का उद्घाटन किया। ये नई वर्दी करीब 12 लाख सैनिकों को चरणबद्ध तरीक़े से उपलब्ध कराई जाएगी।
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ख़बर में बताया है कि सेना की पुरानी वर्दी साल 2008 से इस्तेमाल की जा रही थी। नई वर्दी में अब कई बदलाव किये गए हैं। जिसमें उसका छलावरण पैटर्न और नए कपड़े का इस्तेमाल शामिल है।
हालांकि, नए छलावरण पैटर्न में पहले के ही रंगों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन अब ये पैटर्न डिजिटल है। इसे सैनिकों के काम करने की कई तरह की स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जैसे रेगिस्तान, पहाड़ी इलाक़े, जंगल और मैदानी इलाक़े।
वर्दी के कपड़े में किया गया बदलाव भी अहम है। नया कपड़ा वर्दी को हल्का, मज़बूत, सहज और सैनिकों की पोस्टिंग के अनुसार विभिन्न इलाक़ों के लिए उपयुक्त होगा।
इसमें सूती और पॉलिस्टर का अनुपात 70 बनाम 30 फीसदी रेशियो में है। इससे ये कपड़ा जल्दी सूख सकता है, और नम व गर्म जगहों पर पहनने में ज़्यादा सहज होता है।
सेना के मुताबिक मौजूदा वर्दी के मुक़ाबले नई वर्दी का कपड़ा 15 प्रतिशत हल्का है और फटने के मामले में 23 प्रतिशत ज़्यादा मजबूत है। नई वर्दी में अंदर से एक टी-शर्ट पहनी जाएगी और बाहर से कमीज़।
कमीज को पैंट के अंदर नहीं डालना होगा। नई कमीज एक जैकेट की तरह होगी जिसमें ऊपर-नीचे जेब होगी, पीठ पर चाकू रखने के लिए जगह होगी, बाईं आस्तीन पर एक जेब होगी। बाएं बाजू पर पेन रखने की जगह होगी और बेहतर गुणवत्ता के बटन लगे होंगे।
हली बार नई वर्दी में महिला सैनिकों की विशेष ज़रूरतों को भी ध्यान में रखा गया है।
अख़बार के अनुसार इस वर्दी को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी की 12 लोगों की टीम ने बनाया है जिसमें सात प्रोफ़ेसर, तीन छात्र और दो पूर्व छात्र शामिल हैं। इसे सेना के साथ परामर्श से तैयार किया गया है। इसमें चार ‘सी’ का ध्यान रखा गया है- कंफर्ट (सहजता), क्लाइमेट (जलवायु), कैमोफ्लाज (छलावरण) और कॉन्फिडेंशिएलिटी (गोपनीयता)।
लेकिन, सेना की सभी वर्दियों में बदलाव नहीं किया गया है। सेना में कई तरह की वर्दियां होती हैं, फिलहाल केवल युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में बदलाव किया गया है।
SOURCE-INDIAN EXPERSS
PAPER-G.S.1PRE