‘स्माइल-75 पहल’
चर्चा में क्यों?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव की भावना से, “स्माइल-75 इनिशिएटिव” नामक स्माइल (सपोर्ट फॉर मार्जिनलाइज्ड इंडिविजुअल फॉर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज) के अंतर्गत 75 नगर निगमों की पहचान भिक्षावृत्ति के काम में लगे हुए लोगों के लिए व्यापक पुनर्वास परियोजना लागू करने के लिए की है।
स्माइल 75-पहल :
- उद्देश्य :
- नगर निगम, गैर सरकारी संगठनों (NGOs) और अन्य हितधारकों के सहयोग से सरकारी कल्याण कार्यक्रमों के अंतर्गत भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्तियों के लिये कई व्यापक कल्याणकारी उपायों को शामिल किया गया है, जिसमें उनके पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं के प्रावधान, परामर्श, जागरूकता, शिक्षा, कौशल विकास, आर्थिक सशक्तीकरण और अभिसरण पर व्यापक रूप से ध्यान दिया जाएगा।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2025-26 की अवधि के लिये स्माइल परियोजना हेतु कुल 100 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया है।
- इसके अंतर्गत भिक्षावृत्ति में संलग्न लोगों के समग्र पुनर्वास हेतु एक समर्थन तंत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- नगर निगम, गैर सरकारी संगठनों (NGOs) और अन्य हितधारकों के सहयोग से सरकारी कल्याण कार्यक्रमों के अंतर्गत भिक्षावृत्ति में संलग्न व्यक्तियों के लिये कई व्यापक कल्याणकारी उपायों को शामिल किया गया है, जिसमें उनके पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं के प्रावधान, परामर्श, जागरूकता, शिक्षा, कौशल विकास, आर्थिक सशक्तीकरण और अभिसरण पर व्यापक रूप से ध्यान दिया जाएगा।
- कार्यान्वयन मंत्रालय :
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय।
- अवयव :
- इसमें निम्नलिखित की उप-योजना शामिल है :
- भिक्षावृत्ति के कार्य में संलग्न व्यक्तियों का व्यापक पुनर्वास।
- उद्देश्य :
- नगरों/कस्बों तथा नगरपालिका क्षेत्रों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करना।
- विभिन्न हितधारकों की समन्वित कार्रवाई के माध्यम से भीख मांगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिये रणनीति तैयार करना।
- इसमें निम्नलिखित की उप-योजना शामिल है :
भारत में भिक्षावृत्ति में संलग्न आबादी की स्थिति :
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में भिखारियों की कुल संख्या 4,13,670 (2,21,673 पुरुषों और 1,91,997 महिलाओं सहित) है और पिछली जनगणना की तुलना में इनकी संख्या में वृद्धि हुई है।
- पश्चिम बंगाल इसमें सबसे ऊपर है, उसके बाद क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और बिहार का स्थान है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप में केवल दो भिखारी हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश नई दिल्ली में सबसे अधिक 2,187 भिखारी थे, उसके बाद चंडीगढ़ में 121 थे।
- पूर्वोत्तर राज्यों में असम 22,116 भिखारियों के साथ शीर्ष पर है, जबकि मिज़ोरम 53 भिखारियों के साथ निम्न स्थान पर है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2