हमारे समुद्री हित प्रशांत महासागर से भी जुड़े हुए : एस. जयशंकर
- विदेश मंत्री एस जयशंकर के अनुसार, “जब हम भारत के समुद्री हितों पर बात करते हैं तो हमारा नजरिया केवल हिंद महासागर तक ही सीमित नहीं होता, हम प्रशांत महासागर क्षेत्र की भी बात कर रहे होते हैं। हम जो भी रणनीति बनाते हैं वह हिंद–प्रशांत महासागर क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए बनाते हैं। इस क्षेत्र को केंद्र में रखकर पूरी दुनिया रणनीति तैयार कर रही है”।
- वह अपनी पुस्तक- द इंडिया वे : स्ट्रैटजीज फार एन अनसर्टेन वर्ल्ड के गुजराती में अनुवाद के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
- जयशंकर ने कहा, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में भारत का आत्मविश्वास प्रदर्शित करना है। अमेरिका के साथ मिलकर, चीन का इंतजाम करते हुए, यूरोप से लाभ लेते हुए, रूस को आश्वस्त करते हुए, जापान को साथ लाते हुए भारत को कार्य करना है।
- सबका साथ और सबका विश्वास, यही भारत की विदेश नीति है। इसलिए जब हम समुद्री हितों की बात करते हैं तो वह कई समुद्रों की बात होती है। यह हमारी सोच की बढ़ी सीमाओं का प्रतीक है।
- यह हिंद महासागर से मिला हुआ समुद्री क्षेत्र है। हमारे हितों का दायरा अब बढ़ रहा है, इसलिए हमें सोच का दायरा भी बढ़ाना होगा।
- जयशंकर ने कहा, हम दूसरे देशों की समस्याओं में हस्तक्षेप नहीं करते थे। यह स्थिति 1950-1960 के समय थी। तब हम हस्तक्षेप करने की हैसियत में नहीं थे। लेकिन अब जबकि हम दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था वाले देश बन गए हैं, तब हमें सोच बदलनी होगी। हम दुनिया में पांचवें स्थान पर आकर 20 वें स्थान वाली सोच नहीं रख सकते। हमें अपना नजरिया विस्तृत करना होगा, उसके अनुसार कदम उठाने होंगे–निर्णय लेने होंगे।
Note: यह सूचना मेंस के GS -2, के “द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।