डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव

देश में सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन के लिए एक स्वस्थ ईकोसिस्टम तैयार करने की समग्र दृष्टि के साथ, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) अपनी डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 100 घरेलू कंपनियों, स्टार्ट-अप और एमएसएमई से आवेदन आमंत्रित किए हैं।

डीएलआई स्कीम जिसकी घोषणा दिसंबर में एमईआईटीवाई द्वारा की गई थी और इसके तहत घरेलू कंपनियों, स्टार्टअप और एमएसएमई को वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद प्रदान करने का प्रावधान है। यह मदद अगले पांच साल के लिए एकीकृत सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन  चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर्स और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिजाइन के विकास और डिप्लॉयमेंट के विभिन्न चरणों प्रदान की जाएगी।

यह योजना ₹76,000 करोड़ ($10 बिलियन) पैकेज का एक हिस्सा थी जिसकी घोषणा सरकार ने दिसंबर में की थी।  इसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर डिजाइन में शामिल कम से कम 20 घरेलू कंपनियों की फंडिंग करना और उन्हें अगले 5 साल में ₹1500 करोड़ से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा प्रदान करना है।

सी-डैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग), एक वैज्ञानिक सोसायटी है जो एमईआईटीवाई के तहत काम कर रही है और डीएलआई योजना के कार्यान्वयन के लिए यह नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगी।

इस योजना के तीन घटक हैं- चिप डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, प्रोडक्ट डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव और डिप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव।

चिप डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट के तहत सी-डैक अत्याधुनिक डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे ईडीए टूल्स, आईपी कोर और एमपीडब्ल्यू (मल्टी प्रोजेक्ट वेफर फैब्रिकेशन) और पोस्ट-सिलिकॉन सत्यापन के लिए मदद) खड़ा करने के लिए इंडिया चिप सेंटर की स्थापना करेगा और समर्थित कंपनियों तक इसकी पहुंच की सुविधा भी प्रदान करेगा।

उत्पाद डिजाइन से जुड़े प्रोत्साहन घटक के तहत, अर्धचालक डिजाइन में लगे अनुमोदित आवेदकों को वित्तीय सहायता के रूप में प्रति आवेदन ₹15 करोड़ की सीमा के अधीन पात्र व्यय के 50 प्रतिशत तक की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।

डिप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव कंपोनेंट के तहत, 5 वर्षों में शुद्ध बिक्री टर्नओवर के 6 प्रतिशत से 4 प्रतिशत का प्रोत्साहन, प्रति आवेदन ₹30 करोड़ की सीमा के अधीन, अनुमोदित आवेदकों को प्रदान किया जाएगा, जिनके इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), चिपसेट, के लिए सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, सिस्टम ऑन चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में लगाए गए हैं।

योजना के तहत प्रोत्साहन की दावेदारी करने वाले स्वीकृत आवेदकों को योजना के तहत प्रोत्साहन का दावा करने के बाद तीन साल की अवधि के लिए अपनी घरेलू स्थिति बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा (अर्थात, इसमें पूंजी का 50 प्रतिशत से अधिक लाभकारी रूप से निवासी भारतीय नागरिकों और/या भारतीय कंपनियों के स्वामित्व में है, जो अंततः भारतीय नागरिक के स्वामित्व और नियंत्रण में हैं।)

योजना के तहत प्रोत्साहन के वितरण के लिए पात्र होने के लिए एक आवेदक को निर्धारित सीमा और उच्चतम सीमा को पूरा करना होगा।

डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (Design Linked Incentive – DLI) योजना

डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (Design Linked Incentive – DLI) योजना के तहत, सरकार सेमीकंडक्टर, सिस्टम और आईपी कोर, इंटीग्रेटेड सर्किट (IC), सिस्टम ऑन चिप्स (SoC), चिपसेट और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन की 100 घरेलू कंपनियों को सहायता प्रदान करेगी। यह योजना पात्र व्यय के 50 प्रतिशत तक प्रोत्साहन की पेशकश करेगी।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (India Semiconductor Mission)

भारत में सतत सेमीकंडक्टर विकसित करने और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदर्शित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों को चलाने के लिए सरकार एक स्वतंत्र ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ भी स्थापित करेगी।

क्या होती है सेमीकंडक्टर चिप

सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता है। इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं। ये विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इनका निर्माण सिलिकॉन से होता है। इसमें कुछ विशेष तरह की डोपिंग को मिलाया जाता है, ताकि सुचालक के गुणों में बदलाव लाया जा सके। इससे इसके वांछनीय गुणों का विकास होता है और इसी पदार्थ का इस्तेमाल करके विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है।

कई हाईटेक उपकरणों में इस चिप को इंस्टॉल किया जाता है। सेमीकंडक्टर चिप के जरिए ही डाटा की प्रोसेसिंग होती है। इस कारण इसको इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का दिमाग भी कहा जाता है। आज कार से लेकर सभी बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इसका उपयोग किया जा रहा है।

भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाने में सेमीकंडक्टर का होगा महत्वपूर्ण योगदान

आज हम सूचना युग में जी रहे हैं। चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि जो देश डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में महारत हासिल करेगा। आने वाली पूरी सदी उसकी होगी। ऐसे में दुनिया के कई देश इस क्षेत्र में भारीभरकम निवेश कर रहे हैं।

वहीं बात अगर भारत की करें, तो आज हमारा देश सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आयात पर निर्भर है। भारत में बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर का आयात ताइवान, चीन, साउथ कोरिया और जापान से होता है। बात अगर सेमीकंडक्टर की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की करें, तो इसमें अकेले ताइवान की 63 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ताइवान की TSMS दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी है। वहीं दूसरी तरफ जिस तेजी से चीन का आक्रामक रवैया ताइवान कब्जाने को लेकर बढा है। अगर भविष्य में चीन, ताइवान पर कब्जा करता है, तो इसका बहुत बुरा असर सेमीकंडक्टर के आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ेगा। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था नकारात्मक ढंग से प्रभावित हो सकती है और देशभर में आईटी क्षेत्र से जुड़े काम ठप पड़ सकते हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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