आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में “जगदीश चंद्र बोसः ए सत्याग्रही साइंटिस्ट” के योगदानों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
- महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस की 164वीं जयंती के अवसर पर तथा आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में विज्ञान भारती तथा संस्कृति मंत्रालय ने “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन दी कंट्रीब्यूशन ऑफ जेसी बोसः ए सत्याग्रही साइंटिस्ट” का आयोजन किया।
- सम्मेलन का उद्देश्य था कि आचार्य जगदीश चंद्र बोस के अनसुने योगदानों को जाना जाये, जो उन्होंने स्वतंत्रता-पूर्व युग में वैज्ञानिक व स्वतंत्रता सेनानी के रूप में किये थे।
आचार्य जगदीश चंद्र बोस:
- जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवम्बर 1858 में ढाका जिले के फरीदपुर के माइमसिंह गांव में हुआ था, जो कि अब बंग्लादेश का हिस्सा है।
- मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बोस ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था और उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग ने रेडियो विज्ञान का जनक कहा था।
- बोस ने ही सूर्य से आने वाले विद्युतचुम्बकीय विकिरण के अस्तित्व का सुझाव दिया था जिसकी पुष्टि 1944 में हुई।
- बोस ने दिखाया कि यांत्रिक, ताप, विद्युत तथा रासायनिक जैसी विभिन्न प्रकार की उत्तेजनाओं में सब्जियों के ऊतक भी प्राणियों के समान विद्युतीय संकेत उत्पन्न करते हैं।
- 1917 में जगदीश चंद्र बोस को “नाइट” (Knight) की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही भौतिक तथा जीव विज्ञान के लिए रॉयल सोसायटी लंदन के फैलो चुन लिए गए।