भारत 1 जनवरी 2023 को ‘वास्सेनार व्यवस्था‘ की प्रेसीडेंसी संभालेगा
- विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत, वास्सेनार व्यवस्था की अध्यक्षता अगले महीने की पहली तारीख को संभालेगा।
वास्सेनार व्यवस्था:
- विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वास्सेनार व्यवस्था बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण प्रशासन है जिसमें सदस्य देश पारंपरिक हथियारों के हस्तांतरण जैसे विभिन्न मुद्दों पर सूचना का आदान–प्रदान करते हैं।
- वासेनार व्यवस्था में 42 भाग लेने वाले राज्य हैं।
- 1996 में वासेनार व्यवस्था लागू होने पर निम्नलिखित 33 देश संस्थापक सदस्य थे: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, जापान, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, रूसी संघ, स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
- इसकी स्थापना के बाद से, नौ देश भी वास्सेनार व्यवस्था में शामिल हो गए जो हैं: क्रोएशिया, एस्टोनिया, भारत, लातविया, लिथुआनिया, माल्टा, मैक्सिको, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका।
- भारत को सात दिसम्बर 2017 के दिन वास्सेनार व्यवस्था का 42वें सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।
- भारत के निर्यात नियंत्रण प्रशासन में प्रवेश से परमाणु अप्रसार क्षेत्र में हमारे देश की साख बढ़ेगी, हालांकि भारत परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य नहीं है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।