भारत में बढ़ती गर्मी रोकने के लिए कूलिंग क्षेत्र में 1.6 ट्रिलियन डालर के निवेश की संभावना, रोजगार भी बढ़ेगा: वर्ल्ड बैंक
- बढ़ते तापमान के बीच देश में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां जिस तेजी से बढ़ रही है उसमें पीएम मोदी के पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली के मंत्र (मिशन लाइफ) को इस संकट को थामने के लिए बड़ी उम्मीदों के रूप में भी देखा जा रहा है।
- विश्व बैंक ने पीएम की इस पहल को सराहा है तथा कहा कि इसके लिए वर्ष 2040 तक इस क्षेत्र में 1.6 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की संभावना है। इससे देश में न सिर्फ 37 लाख नई नौकरियों के सृजित होने का रास्ता खुलेगा बल्कि बढ़ते तापमान को भी थामने में मदद मिलेगी।
- विश्व बैंक ने देश में बढ़ते तापमान के प्रभावों और कूलिंग क्षेत्र में बदलाव की संभावनाओं को लेकर कराए गए एक अध्ययन से जुड़ी यह रिपोर्ट ‘भारत के कूलिंग के क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर‘ जारी की है।
- विश्व बैंक के भारत में निदेशक अगस्टे टानो कौमे ने इस मौके पर मिशन लाइफ को सराहा और कहा कि भारत में जिस तेजी से एसी और रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उनमें यदि समय रहते बेहतर तकनीक से लैस नहीं किया गया है तो इससे ऊर्जा का खपत कई गुना बढ़ जाएगी जो देश में ऊर्जा को लेकर एक संकट पैदा कर सकता है।
भारत में कुलिंग क्षेत्र में बड़े निवेश की आवश्यकता/संभावना क्यों है?
- रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुलिंग क्षेत्र में बड़े निवेश की संभावना इसलिए भी है क्योंकि बेहतर कूलिंग सुविधा या तकनीक न होने से अभी हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- वर्ष 2030 तक जीडीपी को इसके तहत 4.5 फीसद तक नुकसान हो सकता है। साथ ही देश की उत्पादकता में भी 5.8 फीसद तक का नुकसान हो सकती है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बेहतर कूलिंग चेन न होने से अभी हर साल बढ़े तापमान की वजह से परिवहन के दौरान 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा का खाद्य पदार्थ खराब हो जाते है। देश में अभी कुल खपत के सिर्फ चार फीसद खाद्य पदार्थों को ही सुरक्षित रखने की व्यवस्था है।
- इसी तरह अभी हर साल करीब 313 मिलियन डॉलर कीमत की वैक्सीन भी कूलिंग की सुविधा न होने के चलते खराब हो जाती है।
- रिपोर्ट के मुताबिक 2037 तक देश में कूलिंग की मांग में करीब आठ गुना बढ़ोतरी हो जाएगी।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी देश में हर 15 सेकेंड में एक एयर कंडीशन का मांग होती है। जिसमें अगले दो दशक में करीब 435 फीसद की बढ़ोत्तरी होगी।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “पर्यावरण संरक्षण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।