भारत में हवाई अड्डे की अवसंरचना विकास की वस्तुस्थिति
- हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का उन्नयन/आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य हवाईअड्डा विकासकर्ताओं द्वारा समय–समय पर भूमि की उपलब्धता, एयरलाइनों को ऐसे हवाईअड्डों के लिए/से संचालन करने के लिए वाणिज्यिक व्यवहार्यता, सामाजिक–आर्थिक विचार, यातायात की मांग/लोगों की इच्छा आदि के आधार पर किया जाता है।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और अन्य हवाईअड्डा विकासकर्ताओं ने अन्य गतिविधियों के अलावा मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार और संशोधन, नए टर्मिनलों और रनवे के सुदृढ़ीकरण के लिए अगले पांच वर्षों में हवाईअड्डा क्षेत्र में लगभग 98,000 करोड़ रुपये के पूंजी परिव्यय का लक्ष्य रखा है।
- नौ (09) परिचालित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की परियोजना लागत:– दुर्गापुर-670 करोड़ रुपये, शिरडी-320 करोड़ रुपये, पाकयोंग– 553.53 करोड़ रुपये, कन्नूर– 2342 करोड़ रुपये, कलबुर्गी 175.57 करोड़ रुपये, ओरवाकल (कुरनूल)– 187 करोड़ रुपये, सिंधुदुर्ग– 520 करोड़ रुपये, कुशीनगर– 448 करोड़ रुपये और डोनी पोलो, ईटानगर– 646 करोड़ रुपये- हैं।
- इसके अलावा 2019-25 की अवधि के लिए दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, लखनऊ, मंगलुरु, गुवाहाटी और अहमदाबाद हवाई अड्डों की क्रमशः 10,550 करोड़ रुपये, 13,552 करोड़ रुपये, 6,288 करोड़ रुपये, 1,383 करोड़ रुपये, 567 करोड़ रुपये, 1,232 करोड़ रुपये और 376 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय निर्धारित किया गया है।