भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सरकार से चीन पर निर्भरता कम करने के लिए ‘इंडिया रेयर अर्थ मिशन‘ स्थापित करने का आग्रह किया
- महत्वपूर्ण रेयर अर्थ खनिजों के आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता का मुकाबला करने के लिए, उद्योग समूह ने सरकार से इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के खनन को प्रोत्साहित करने और इन रणनीतिक कच्चे माल के लिए आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाने का आग्रह किया है।
- भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने सुझाव दिया की ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ जैसे पेशेवरों द्वारा संचालित एक ‘इंडिया रेयर अर्थ मिशन‘ की स्थापना करें और उनकी खोज को सरकार के डीप ओशन मिशन योजना का एक महत्वपूर्ण घटक बनाएं जाये साथ ही ऐसे खनिजों के खनन के लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठायें जाये।
- उद्योग समूह ने हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा केंद्रीय बजट के सन्दर्भ में मांगे गए सुझावों के एक ज्ञापन के सन्दर्भ में बताया, हालांकि भारत के पास दुनिया के रेयर अर्थ भंडार का 6% है, पर यह वैश्विक उत्पादन का केवल 1% उत्पादन करता है, और चीन से ऐसे खनिजों की अपनी अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- उदाहरण के लिए, 2018-19 में, मूल्य के हिसाब से 92% और मात्रा के हिसाब से 97% रेयर अर्थ मेटल आयात चीन से किया गया था।
- यह सुझाव देते हुए कि ऐसे खनिजों को भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम के अधीन नहीं रखा जाना चाहिए।
- उद्योग निकाय ने सिफारिश की है कि परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रशासित सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) को दो संस्थाओं में विभाजित किया जाना चाहिए। जबकि IREL मुख्य रूप से थोरियम खनन पर ध्यान केंद्रित किये रखे, CII ने सुझाव दिया है कि दूसरी इकाई अन्य खनिजों पर केंद्रित हो सकती है।
- उद्योग समूह ने चीन की ‘मेड इन चाइना 2025′ पहल जो रेयर अर्थ मिनरल्स का उपयोग करके बनाए गए स्थायी चुम्बकों सहित नई सामग्रियों पर केंद्रित है का हवाला देते हुए रेयर अर्थ मिनरल्स को ‘मेक इन इंडिया‘ अभियान का हिस्सा बनाने पर भी विचार किये जाने का सुझाव दिया है।