देश में नवीकरणीय ऊर्जा का रोडमैप तैयार
- वर्ष 2030 तक देश में सोलर, पवन, बायोगैस जैसे अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत (रिनिवेबल) से बिजली बनाने का रोडमैप तो पहले से तैयार है, अब इस बिजली को देश के हर हिस्से में भेजने का रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। रोडमैप को अमली जामा पहनाने में कुल 2.44 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी।
- रोडमैप को तैयार करने में निजी सेक्टर के साथ ही राज्यों के साथ भी विमर्श किया गया है।
- इस रोडमैप से यह बात भी सामने आती है कि राजस्थान का फतेहगढ़, भादला, बीकानेर, गुजरात में खावड़ा, आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, कुरनूल जैसे क्षेत्र रिनीवेबल ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित हो रहे हैं।
- इस रोडमैप से देश के रिनीवेबल सेक्टर में भी ज्यादा पारदर्शिता आएगी और निवेशक आगे आएंगे।
- बताते चलें कि देश में अभी बिजली की कुल स्थापित क्षमता 4.09 लाख मेगावाट है। इसमें रिनीवेबल सेक्टर से उत्पादित बिजली का हिस्सा 42 फीसद यानी 1.73 लाख मेगावाट है।
- वर्ष 2030 तक देश की कुल उत्पादन क्षमता में 67 फीसद हिस्सेदारी सौर, पवन, बायोगैस, पनबिजली की होगी।
हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन कॉरिडोर और ट्रांसमिशन लाइन का विकास:
- इसके तहत 8120 किलोमीटर लंबी हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन कॉरिडोर के अलावा 42 हजार किलोमीटर लंबी कम क्षमता की ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाने की योजना है।
- योजना के तहत पहली बार भारत में समुद्री तट से दूर बीच समुद्र में स्थित स्थापित होने वाले विंड पावर प्रोजेक्ट को भी देश के मुख्य ट्रांसमिशन लाइन से जोड़ने की तैयारी है।
- इस योजना के पूरा होने के बाद देश के अंतर–क्षेत्रीय ट्रांसमिशन लाइन की मौजूदा क्षमता 1.12 लाख मेगावाट से बढ़ कर 1.50 लाख मेगावाट हो जाएगी। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि देश के एक क्षेत्र में स्थापित होने वाले सौर या पवन ऊर्जा संयंत्रों से बिजली को राष्ट्रीय स्तर का बाजार उपलब्ध हो सकेगा।
नवीकरणीय बिजली को स्टोर करने की क्षमता का विकास:
- इस रोडमैप की एक दूसरी खास बात यह होगी कि इसके तहत देश में बैट्री स्टोरेज क्षमता भी स्थापित किया जाएगा।
- चूंकि नवीकरणीय सेक्टर से जो बिजली बनती है उसका एक बड़ा हिस्सा दिन में बनाया जाता है इसलिए इनकी बिजली की चौबीसों घंटे स्टोरेज करने की जरूरत है।
- शुरुआत में सरकार की तैयारी है कि वर्ष 2030 तक 51,500 मेगावाट रिनीवेबल बिजली को स्टोर करने की क्षमता स्थापित हो जाए।
- कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने देश में 50 हजार मेगावाट क्षमता की बैट्री स्टोरेज क्षमता स्थापित करने के लिए 17 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली पीएलआइ स्कीम लागू की है।