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एनटीसीए की बैठक पहली बार राष्ट्रीय राजधानी के बाहर अरुणाचल प्रदेश में हुई

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केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में आज अरुणाचल प्रदेश के पक्के बाघ अभयारण्य में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 20वीं बैठक आयोजित की गई।

एनटीसीए के इतिहास में पहली बार इसकी बैठक राष्ट्रीय राजधानी से बाहर हुई। बाघ अभयारण्य, स्थानीय मुद्दों आदि के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्री ने एनटीसीए की बैठकों को दिल्ली के बाहर वन क्षेत्रों में या बाघ अभयारण्यों में आयोजित किए जाने का निर्देश दिया था।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

  • यह पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जो 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित है।
  • इसकी स्थापना पर्यावरण और वन मंत्री के अध्यक्षता में की गई है।
  • इस प्राधिकरण में आठ विशेषज्ञ या पेशेवर होते हैं, जिनके पास वन्यजीव संरक्षण और आदिवासियों सहित अन्य लोगों के कल्याण का अनुभव होता है।
  • इन आठ में से तीन संसद सदस्य होते हैं, जिनमें से दो लोक सभा  तथा एक राज्य सभा का सदस्य होता है।
  • प्रोजेक्ट टाइगर के प्रभारी वनों का महानिरीक्षक इसमें पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करता है।

कार्य

  • एनटीसीए भारत में बाघों के संरक्षण के लिए व्यापक निकाय है।
  • इसका मुख्य प्रशासनिक कार्य राज्य सरकारों द्वारा तैयार बाघ संरक्षण योजना को स्वीकार करना है और फिर टिकाऊ पारिस्थितिकी के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करना और बाघों के आरक्षित क्षेत्र के भीतर किसी भी पारिस्थितिक रूप से अस्थिर भूमि उपयोग जैसे खनन, उद्योग और अन्य परियोजनाओं को अस्वीकार करना है।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

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