भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें यूएनडीपी केंद्र की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और किसान क्रेडिट कार्ड – संशोधित ब्याज सब्वेन्शन योजना के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
समझौता ज्ञापन के अनुसार, यूएनडीपी कृषि ऋण और फसल बीमा के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी, मांग-संचालित तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, साथ ही छोटे और सीमांत किसानों, महिला किसानों, बटाईदारों, काश्तकार और गैर-ऋणी किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा राष्ट्रीय और राज्य के संस्थानों को क्षमता विकास तथा सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सहायता प्रदान करेगा।
रिपोर्ट के संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) :
- UNDP संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक विकास का एक नेटवर्क है।
- इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में अवस्थित है
- UNDP गरीबी उन्मूलन, असमानता को कम करने हेतु लगभग 70 देशों में कार्य करता है।
- इसके अलावा देश के विकास को बढ़ावा देने के लिये नीतियों, नेतृत्व कौशल, साझेदारी क्षमताओं तथा संस्थागत क्षमताओं को विकसित करने और लचीलापन बनाने में मदद करता है।
- ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ (PMFBY) को 13 जनवरी, 2016 को लॉन्च किया गया था।
- इस योजना की शुरुआत देश में किसानों को न्यूनतम और समान बीमा-किस्त पर एक व्यापक जोखिम समाधान प्रदान करने के लिये की गई थी।
मुख्य बिंदु:
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):
- यह योजना किसानों को फसल की विफलता (खराब होने) की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है, जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिलती है।
- दायरा (Scope) : वे सभी खाद्य और तिलहनी फसलें तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें, जिनके लिये पिछली उपज के आँकड़े उपलब्ध हैं।
- बीमा किस्त : इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम-खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 5% है। वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।
- किसानों की देयता के बाद बची बीमा किस्त की लागत का वहन राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप बराबर साझा किया जाता है।
- हालाँकि, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत बीमा किस्त सब्सिडी का 90% हिस्सा वहन किया जाता है।
- अधिसूचित फसलों हेतु फसल ऋण/किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते में ऋण लेने वाले किसानों के लिये इस योजना को अनिवार्य बनाया गया है, जबकि अन्य किसान स्वेच्छा से इस योजना से जुड़ सकते हैं।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी।
- किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करना। यह ऋण सुविधा एक सरली कार्यविधि के माध्यम से यथा- आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाती है।
- KCC में फसल कटाई के बाद के खर्चों, विपणन हेतु ऋण, किसान परिवारों की उपभोग संबंधी आवश्यकताओं, कृषि परिसंपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी और कृषि से संबद्ध गतिविधियों, कृषि क्षेत्र में निवेश ऋण की आवश्यकता को शामिल किया गया है।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC) को वाणिज्यिक बैंकों, RRBs, लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks) और सहकारी संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना Interest Subvention Scheme
- इसका लक्ष्य किसानों को 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक का अल्पकालिक फसली ऋण प्रदान करना है।
- ऋणदाता (उधार देने वाले) संस्थान जैसे- PSBs और निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक सरकार द्वारा प्रस्तावित 2 प्रतिशत का ब्याज सबवेंशन (छूट) प्रदान करते हैं।
- यह नीति वर्ष 2006-07 से लागू हुई।
- ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना (Interest Subvention Scheme) का क्रियान्वयन नाबार्ड और RBI द्वारा किया जा रहा है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3