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पशुधन गणना

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केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आज नई दिल्ली में 20वीं पशुधन गणना के आधार पर नस्ल के अनुसार पशुधन और पोल्ट्री रिपोर्ट जारी की।

नस्ल के अनुसार पशुधन तथा पोल्ट्री रिपोर्ट के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं-

  • रिपोर्ट में एनबीएजीआर (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा पंजीकृत 19 चयनित प्रजातियों की 184 मान्यता प्राप्त स्वदेशी/विदेशी और संकर नस्लों को शामिल किया गया है।
  • रिपोर्ट में 41 मान्यता प्राप्त स्वदेशी मवेशी हैं जबकि 4 विदेशी/संकर नस्लें शामिल हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार कुल मवेशियों की आबादी में विदेशी और संकर पशु का योगदान लगभग 5 प्रतिशत है जबकि 73.5 प्रतिशत स्वदेशी और बिना वर्ग के मवेशी हैं।
  • कुल विदेशी/संकर मवेशियों में संकर होल्स्टीन फ्राइज़ियन (एचएफ) के 3 प्रतिशत की तुलना में संकर जर्सी का हिस्सा 49.3 प्रतिशत है।
  • कुल देशी मवेशियों में गिर, लखीमी और साहीवाल नस्लों का प्रमुख योगदान है।
  • भैंस में मुर्रा नस्ल का प्रमुख योगदान 8 प्रतिशत है, जो सामान्यतः उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पाया जाता है।
  • भेड़ में 3 विदेशी और 26 देशी नस्लें पाई गईं। शुद्ध विदेशी नस्लों में कोरिडेल नस्ल का योगदान प्रमुख रूप से 3 प्रतिशत है और स्वदेशी नस्लों में नेल्लोर नस्ल का योगदान 20.0 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ श्रेणी में सबसे अधिक है।
  • देश में बकरियों की 28 देशी नस्लें पाई गई हैं। ब्लैक बंगाल नस्ल का योगदान 6 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक है।
  • विदेशी/संकर सूअरों में संकर नस्ल के सुअर का योगदान 6 प्रतिशत है, जबकि यॉर्कशायर का योगदान 8.4 प्रतिशत है। स्वदेशी सूअरों में डूम नस्ल का योगदान 3.9 प्रतिशत है।
  • घोड़ा तथा टट्टुओं में मारवाड़ी नस्ल का हिस्सा प्रमुख रूप से 8 प्रतिशत है।
  • गधों में स्पीति नस्ल की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत है।
  • ऊँट में बीकानेरी नस्ल का योगदान 6 प्रतिशत है।
  • कुक्कुट, देसी मुर्गी में, असील नस्ल मुख्य रूप से बैकयार्ड कुक्कुट पालन और वाणिज्यिक कुक्कुट फार्म दोनों में योगदान करती है।
  • उत्तर प्रदेश में मवेशियों की आबादी में सबसे ज़्यादा कमी देखी गई है, हालाँकि राज्य ने मवेशियों को बचाने के लिये कई कदम उठाए हैं।
    • पश्चिम बंगाल में मवेशियों की आबादी में सबसे अधिक 15% की वृद्धि देखी गई है।
  • कुल विदेशी/क्रॉसब्रीड मवेशियों की आबादी में 27% की वृद्धि हुई है।
    • 2018-19 में भारत के कुल दूध उत्पादन में क्रॉस-ब्रीड मवेशियों का योगदान लगभग 28% था।
    • जर्सी या होलेस्टिन जैसे विदेशी और क्रॉसब्रीड मवेशियों की दुधारू क्षमता अधिक है, इसलिये कृषकों द्वारा इन मवेशियों को अधिक पसंद किया जा रहा है।
    • कुल देशी मवेशियों की आबादी में 6% की गिरावट देखी गई है।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत के स्वदेशी मवेशियों की संख्या में गिरावट जारी है।
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है, जिसका कारण बहुत हद तक गौहत्या कानून है।
  • कुल दुधारू मवेशियों में 6% की वृद्धि देखी गई है।
    • आँकड़े बताते हैं कि देश में कुल मवेशियों का लगभग 75% मादा (गाय) हैं, यह दुग्ध उत्पादक पशुओं के लिये डेयरी किसानों की वरीयताओं का एक स्पष्ट संकेत है। गायों की संख्या में वृद्धि का कारण सरकार द्वारा किसानों को उच्च उपज वाले बैल के वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान करना है।
  • बेकयार्ड पोल्ट्री में लगभग 46% की वृद्धि हुई है।
    • बेकयार्ड मुर्गी पालन में वृद्धि ग्रामीण परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है जो गरीबी उन्मूलन के संकेत को दर्शाता है।
    • कुल गोजातीय जनसंख्या (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक) में लगभग 1% की वृद्धि देखी गई है।
    • भेड़, बकरी और मिथुन की आबादी दोहरे अंकों में बढ़ी है जबकि घोड़ों, सूअर, ऊँट, गधे, खच्चर और याक की गिनती में गिरावट आई है।

पशुधन की जनगणना

  • वर्ष 1919-20 से देश में समय-समय पर पशुधन की गणना आयोजित की जाती है। तब से प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार यह गणना आयोजित की जाती है।
  • इसमें सभी पालतू जानवरों की कुल गणना को शामिल किया गया है।
  • राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा अब तक ऐसी 19 गणनाएँ की जा चुकी हैं।
  • 20वीं पशुधन जनगणना में पहली बार फील्ड से ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से घरेलू स्तर के डेटा का उपयोग किया गया है।
  • जनगणना केवल नीति निर्माताओं के लिये ही नहीं बल्कि किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों, डेयरी उद्योग और आम जनता के लिये भी फायदेमंद है।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

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