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पीएमएफएमई योजना

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आज़ादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में देश प्रगतिशील भारत, उसके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और महान उपलब्धियों के 75 गौरवशाली वर्ष मना रहा है। इसी क्रम में “किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी” अभियान का आयोजन 25 अप्रैल, 2022 से 30 अप्रैल, 2022 तक किया जा रहा है।

अभियान के अंग के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फार्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज (पीएमएफएमई) योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में अखरोट के प्रसंस्करण तथा मूल्यसंवर्धन पर ओडीओपी आधारित कार्यशाला का आयोजन किया।

  • मंत्रालय ने PMFME योजना के ब्रांडिंग और विपणन घटक के तहत चयनित ODOP के 10 ब्रांड विकसित करने के लिये NAFED के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इनमें से छह ब्रांड अमृत फाल, कोरी गोल्ड, कश्मीरी मंत्र, मधु मंत्र, सोमदाना और दिल्ली बेक्स की सभी व्हीट कुकीज़ हैं।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय :
    • इसे आत्म निर्भर अभियान के तहत शुरू किया गया है, इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है।
    • यह योजना इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में पैमाने का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (ओडीओपी) दृष्टिकोण अपनाती है।
    • इसे पाँच वर्ष (2020-21 से 2024-25) की अवधि के लिये लागू किया जाएगा।
  • विशेषताएँ :
    • एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण :
      • योजना के लिये ODOP मूल्य शृंखला विकास और समर्थन बुनियादी ढाँचे के संरेखण के लिये रुपरेखा प्रदान करेगा। एक ज़िले में ODOP उत्पादों के एक से अधिक समूह हो सकते हैं।
        • एक राज्य में एक से अधिक निकटवर्ती ज़िलों को मिलाकर ODOP उत्पादों का एक समूह हो सकता है।
      • राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ज़िलों के लिये खाद्य उत्पादों की पहचान करेंगे।
      • ओडीओपी में एक क्षेत्र में व्यापक रूप से उत्पादित तथा खराब होने वाली उपज या अनाज या खाद्य पदार्थ हो सकता है जैसे- आम, आलू, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन आदि।
    • अन्य केंद्रित क्षेत्र :
      • वेस्ट टू वेल्थ उत्पाद, लघु वन उत्पाद और आकांक्षी ज़िले
      • क्षमता निर्माण और अनुसंधान : राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के साथ-साथ MoFPI के तहत शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को सूक्ष्म इकाइयों हेतु प्रशिक्षण, उत्पाद विकास, उपयुक्त पैकेजिंग एवं मशीनरी के लिये सहायता प्रदान की जाएगी।
    • वित्तीय सहायता :
      • मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां अपनी इकाइयों को अपग्रेड करने की इच्छुक हैं, वे अधिकतम 10 लाख रुपए प्रति यूनिट के साथ पात्र परियोजना लागत के 35% पर क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ प्राप्त सकती हैं।
      • एफपीओ/ एसएचजी/ सहकारी समितियों या राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों या निजी उद्यम के माध्यम से सामान्य प्रसंस्करण सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम आदि सहित सामान्य बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 35% पर क्रेडिट लिंक्ड अनुदान के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी।
      • 40,000 रुपए सीड कैपिटल (प्रारंभिक वित्तपोषण) प्रति स्वयं सहायता समूह के सदस्य को कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद हेतु प्रदान किया जाएगा।
    • ‘मार्केटिंग’ और ‘ब्रांडिंग’ सहायता :
      • इस योजना के तहत एफपीओ/एसएचजी/सहकारिता समूहों या सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के SPV को ‘मार्केटिंग’ और ब्रांडिंग सहायता प्रदान की जाएगी, जो इस प्रकार हैं :
        • ‘मार्केटिंग’ से संबंधित प्रशिक्षण।
        • मानकीकरण सहित एक सामान्य ब्रांड और पैकेजिंग का विकास करना।
        • राष्ट्रीय और क्षेत्रीय खुदरा शृंखलाओं के साथ विपणन गठजोड़।
        • उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये गुणवत्ता नियंत्रण आवश्यक मानकों को पूरा करना।
  • वित्तपोषण :
    • यह 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ केंद्र प्रायोजित योजना है।
    • इस योजना के तहत व्यय को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों के संदर्भ में 90:10 के अनुपात में, विधायिका युक्त केंद्रशासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात में और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्र द्वारा 100% साझा किया जाएगा।
  • आवश्यकता :
    • लगभग 25 लाख इकाइयों वाले असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़े रोज़गार में 74 प्रतिशत योगदान है।
    • इनमें से लगभग 66% इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और उनमें से लगभग 80% परिवार आधारित उद्यम हैं जो ग्रामीण परिवारों की आजीविका का समर्थन करते हैं तथा शहरी क्षेत्रों में उनके प्रवास को कम करते हैं।
      • ये इकाइयाँ बड़े पैमाने पर सूक्ष्म उद्यमों की श्रेणी में आती हैं।
    • असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना करता है जो उनके प्रदर्शन और विकास को सीमित करता है। इन चुनौतियों में आधुनिक तकनीक व उपकरणों तक पहुँच की कमी, प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण तक पहुँच, उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण पर बुनियादी जागरूकता की कमी और ब्रांडिंग व मार्केटिंग कौशल आदि की कमी शामिल हैं।
  • संबंधित विभिन्न पहल :
    • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना।
    • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA)
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)।
    • कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP)
    • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी)।
    • कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन।
    • मसौदा खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम।

राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड

  • परिचय :
    • यह भारत में कृषि उत्पादों संबंधी विपणन सहकारी समितियों का एक शीर्ष संगठन है।
    • इसकी स्थापना 2 अक्तूबर, 1958 को हुई थी और यह बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत है।
    • NAFED अब भारत में कृषि उत्पादों के लिये सबसे बड़ी खरीद एवं विपणन एजेंसियों में से एक है।
  • उद्देश्य :
    • कृषि, बागवानी और वन उपज के विपणन, प्रसंस्करण तथा भंडारण को व्यवस्थित करना, बढ़ावा देना एवं विकसित करना
    • कृषि मशीनरी, उपकरण तथा अन्य आदानों को वितरित करना, अंतर-राज्यीय, आयात और निर्यात व्यापार, थोक या खुदरा किसी भी प्रकार का उत्तरदायित्त्व लेना।
    • भारत में इसके सदस्यों, भागीदारों, सहयोगियों और सहकारी विपणन, प्रसंस्करण एवं आपूर्ति समितियों के प्रचार तथा कामकाज के लिये कृषि उत्पादन में तकनीकी सलाह हेतु कार्य करना व सहायता करना

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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