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पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क (पीएम मित्र) पार्क योजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया

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कपड़ा मंत्रालय ने 4 मई, 2022 को पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क (पीएम मित्र) पार्क योजना पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्घाटन कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह ने किया और कपड़ा मंत्रालय की व्यापार सलाहकार श्रीमती शुभ्रा ने पीएम मित्र पार्क योजना के संबंध में एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

सम्मेलन में 13 राज्य सरकारों के अधिकारियों को अपनी प्रस्तुति देने के लिए मंच प्रदान किया गया। इसमें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने अपने-अपने राज्यों में पीएम मित्र पार्क स्थापित करने के 18 प्रस्तावों की रूपरेखा पेश की। प्रत्येक राज्य सरकार ने प्रस्तावित पीएम मित्र पार्कों की स्थापना के लिए उद्योग के अनुरूप इकोसिस्‍टम  बनाने के लिए प्रदान की गई योजना/नीति/लाभ/प्रोत्साहन और बुनियादी उपयोगिताओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ ही अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

पीएम मित्र पार्क एक स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण/रंगाई और छपाई से लेकर परिधान निर्माण आदि तक एक एकीकृत कपड़ा मूल्य श्रृंखला बनाने का अवसर प्रदान करेगा और इस तरह यह उद्योग की लागत को कम करेगा। सम्मेलन में उद्योग की व्यापक भागीदारी रही जो कि आभासी और भौतिक दोनों स्वरूपों में सामने आई। इसमें एक जीवंत प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ, जिसके बाद समापन सत्र में निष्कर्षों को सार रूप में पेश किया गया और योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के बारे में विस्तार से बताया गया।

सरकार ने वर्ष 2027-28 तक सात वर्षों की अवधि के लिये 4,445 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड साइट्स में सात ‘पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल’ (PM Mega Integrated Textile Region and Apparel- PM MITRA) पार्कों की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है।

  • भारत सरकार ‘एकीकृत वस्त्र पार्क योजना’ (Scheme for Integrated Textile Park- SITP) शुरू की है, यह योजना कपड़ा इकाइयों की स्थापना के लिये विश्व स्तरीय बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।

    • ‘पीएम मित्र’ पार्क को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle-SPV) के ज़रिये विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्व केंद्र और राज्य सरकार के पास होगा।
    • प्रत्येक ‘मित्र’ पार्क में एक इन्क्यूबेशन सेंटर, कॉमन प्रोसेसिंग हाउस और एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट तथा अन्य टेक्सटाइल संबंधी सुविधाएँ जैसे- डिज़ाइन सेंटर एवं टेस्टिंग सेंटर होंगे
      • इनक्यूबेशन सेंटर वह संस्था होती है जो उद्यमियों को उनके व्यवसाय को विकसित करने और इससे जुड़ी समस्याओं को हल करने में सहायता करती है, विशेष रूप से प्रारंभिक चरणों में व्यवसाय और तकनीकी सेवाओं की सारणी, प्रारंभिक सीड फंडिंग (Seed Funding), प्रयोगशाला सुविधाएँ, सलाहकार, नेटवर्क और लिंकेज प्रदान करके।
    • यह ‘विशेष प्रयोजन वाहन’/मास्टर डेवलपर न केवल औद्योगिक पार्क का विकास करेगा, बल्कि रियायत अवधि के दौरान इसका रखरखाव भी करेगा।
  • वित्तपोषण :
    • इस योजना के तहत केंद्र सरकार सामान्य बुनियादी अवसंरचना के विकास हेतु प्रत्येक ग्रीनफील्ड ‘मित्र’ पार्क के लिये 500 करोड़ रुपए और प्रत्येक ब्राउनफील्ड पार्क के लिये 200 करोड़ रुपए की विकास पूंजी सहायता प्रदान करेगी।
      • ग्रीनफील्ड का आशय एक पूर्णतः नई परियोजना से है, जिसे शून्य स्तर से शुरू किया जाना है, जबकि ब्राउनफील्ड परियोजना वह है जिस पर काम शुरू किया जा चुका है।
  • प्रोत्साहन के लिये पात्रता :
    • इनमें से प्रत्येक पार्क में वस्त्र निर्माण इकाइयों की शीघ्र स्थापना के लिये प्रतिस्पर्द्धात्मक प्रोत्साहन सहायता के रूप में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
    • कम-से-कम 100 लोगों को रोज़गार देने वाले ‘एंकर प्लांट’ स्थापित करने वाले निवेशक तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपए तक प्रोत्साहन पाने के लिये पात्र होंगे।
  • महत्त्व :
    • रसद लागत में कमी :
      • यह रसद लागत को कम करेगा और कपड़ा क्षेत्र की मूल्य शृंखला को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु मज़बूत करेगा।
      • कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य में उच्च रसद लागत को एक प्रमुख बाधा माना जाता है।
    • रोज़गार सृजन :
      • प्रत्येक पार्क के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से 1 लाख रोज़गार और परोक्ष रूप से 2 लाख रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि :
      • ये पार्क देश में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) आकर्षित करने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
      • अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 तक भारत के कपड़ा क्षेत्र को 20,468.62 करोड़ रुपए का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ था, जो इस अवधि के दौरान कुल विदेशी निवेश प्रवाह का मात्र 69% है।

भारत का वस्त्र क्षेत्र :

यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है और पारंपरिक कौशल, विरासत तथा संस्कृति का भंडार एवं वाहक है।

यह भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 7%, भारत की निर्यात आय में 12% और कुल रोज़गार में 21% से अधिक का योगदान देता है।

भारत 6% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ तकनीकी वस्त्रों (Technical Textile) का छठा (विश्व में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक) बड़ा उत्पादक देश है।

तकनीकी वस्त्र कार्यात्मक कपड़े होते हैं जो ऑटोमोबाइल, सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, औद्योगिक सुरक्षा, व्यक्तिगत सुरक्षा आदि सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होते हैं।

भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश भी है, विश्व में हाथ से बुने हुए कपड़ों के मामले में इसकी 95% हिस्सेदारी है।

प्रमुख पहलें :

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS)

एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (SITP)

समर्थ योजना।

पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्द्धन योजना (NERTPS)

पावर-टेक्स इंडिया

सिल्क समग्र योजना

जूट ICARE

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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