इंग्लैंड में एक मरीज में मंकीपॉक्स रोग का पता चला है। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) ने घोषणा की कि एक मरीज का निदान किया गया है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ प्रकार का वायरल संक्रमण है जो लोगों में आसानी से नहीं फैलता है। इसलिए, जनता के लिए इस बीमारी का समग्र जोखिम बहुत कम है।
मुख्य बिंदु
UKHSA के अनुसार, रोगी नाइजीरिया में इस बीमारी से संक्रमित हुआ। इस समय मरीज का इलाज गाईज एंड सेंट थॉमस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट, लंदन में किया जा रहा है।
क्या है मंकी पॉक्स
मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है। गौरतलब है कि वैरियोला वायरस से स्मॉल पॉक्स या छोटी चेचक बीमारी होती है, इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन में होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं। स्मॉलपॉक्स या चेचक को टीके के ज़रिए दुनिया भर से 1980 में ख़त्म कर दिया गया था पर कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकीपॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं।
संक्रमण के तरीके और लक्षण
मंकीपॉक्स (Monkeypox) का विस्तार जानवरों से मनुष्यों में तो होता है पर मनुष्य से मनुष्य तक का संक्रमण नहीं देखा गया है, हालांकि बॉडी फ्लूइड मसलन स्किन सोर, रेस्पिरेटरी ड्रापलेट, और संक्रमित चीज़ों से भी संक्रमण फ़ैल सकता है। चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स का संक्रमण हल्का माना गया है। शरीर पर फफोलों के साथ इसमें बुखार की शिकायत भी होती है। ठण्ड लगना, सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, फटीग के साथ फोड़े इस बीमारी के अन्य लक्षण हैं।
1970 में मिला था पहला केस
मंकीपॉक्स का पहला केस डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) में 1970 में मिला था। WHO के मुताबिक़ अबतक चार महादेशों में 15 देशों में इस पॉक्स के मामले देखे गए हैं।
SOURCE-DNA HINDI
PAPER-G.S.3