राजनीति विज्ञान के विद्वान मनोज सोनी को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मनोज सोनी अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में माहिर हैं और उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय और एम.एस. यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के कुलपति के रूप में कार्य किया था। वह स्वतंत्र भारत के सबसे कम उम्र के कुलपति भी थे।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 (Article 312) के अनुसार, संसद को संघ और राज्यों के लिये एक या एक से अधिक अखिल भारतीय सेवाएँ (एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा सहित) बनाने का अधिकार प्राप्त है।
- इन सभी अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission- UPSC) द्वारा की जाती है।
- राज्य स्तर पर प्रशासनिक सेवाओं हेतु राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission- SPSC) द्वारा भर्ती की जाती है।
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत में केंद्रीय भर्ती एजेंसी है।
- भारतीय संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की संरचना, उसके सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन तथा संघ लोक सेवा आयोग की शक्तियों और कार्यों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
- यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
- केंद्र में UPSC के समानांतर राज्य में राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) कार्यरत्त है।
- संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत SPSC की संरचना, उसके सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन तथा SPSC की शक्तियों और कार्यों के बारे में प्रावधान किये गए हैं।
संवैधानिक प्रावधान :
- अनुच्छेद 315 : संघ और भारत के राज्यों हेतु लोक सेवा आयोगों (Public Service Commissions- PSC) का गठन।
- अनुच्छेद 316 : UPSC के साथ-साथ SPSC के सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल।
- अनुच्छेद 317 : UPSC या SPSC दोनों के सदस्य को हटाना और निलंबित करना।
- अनुच्छेद 318 : आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों हेतु नियम बनाने की शक्ति।
- अनुच्छेद 319 : आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्य न रहने पर पद धारण करने का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद 320 : लोक सेवा आयोगों के कार्यों का वर्णन।
- अनुच्छेद 322 : लोक सेवा आयोगों के व्यय।
- अनुच्छेद 323 : लोक सेवा आयोगों की रिपोर्ट।
संघ लोक सेवा आयोग
- सदस्यों की नियुक्ति : UPSC के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- कार्यालय : UPSC का कोई भी सदस्य छह साल की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहेगा।
- पुनर्नियुक्ति : कोई भी व्यक्ति जो एक बार लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद धारण कर चुका है अपने कार्यालय में पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
- त्यागपत्र : संघ लोक सेवा आयोग का कोई सदस्य भारत के राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकता है।
- सदस्यों का निष्कासन/निलंबन : संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को भारत के राष्ट्रपति के आदेश से ही उसके पद से हटाया जाएगा।
- राष्ट्रपति अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को उसके कार्यालय पूर्ण होने से पूर्व भी निलंबित कर सकता है, जिसके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का संदर्भ दिया गया है।
- पदच्युत : UPSC के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को हटाया जा सकता है यदि वह :
- दिवालिया घोषित किया गया है।
- अपने कार्यकाल के दौरान कार्यालय के कर्तव्यों के बाहर किसी भी भुगतान वाले रोजगार में संलग्न होता है।
- राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शरीर की दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के लिये अयोग्य है।
- सेवा की शर्तों को विनियमित करना : UPSC के मामले में भारत के राष्ट्रपति की शक्ति :
- आयोग के सदस्यों की संख्या और उनकी सेवा की शर्तें निर्धारित करता है।
- आयोग के कर्मचारियों की संख्या और उनकी सेवा शर्तों के संबंध में प्रावधान करता है।
- शक्तियों पर प्रतिबंध : UPSC के सदस्यों की सेवा शर्तों में नियुक्ति के बाद किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया जाएगा।
- खर्च : आयोग के सदस्यों या कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन सहित UPSC का खर्च भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से लिया जाता है।
- रिपोर्ट प्रस्तुत करना : UPSC भारत के राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किये गए कार्यों की एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
- जिन मामलों में आयोग की सलाह स्वीकार नहीं की गई हो उन मामलों के संदर्भ में राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रस्तुत करना होता है।
- अस्वीकृति के कारणों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व संसद के प्रत्येक सदन (Parliament) के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2