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मोस्कवा युद्धपोत

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रूस का युद्धपोत मोस्कवा काले सागर में ‘गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त’ होने के बाद डूब गया है। जहाज़ के डूबने की बात तक रूस और यूक्रेन सहमत हैं, लेकिन इसकी वजहों को लेकर दोनों में मतभेद हैं।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जहाज़ पर रखे गए गोला-बारूद में आग लगने की वजह से उसे नुकसान पहुंचा था जिसके बाद उसे बंदरगाह लाया जा रहा था लेकिन रास्ते में यह डूब गया।

वहीं, यूक्रेन का दावा है कि उसने नैपच्यून मिसाइल से इस युद्धक जहाज पर हमला किया था। अमेरिकी अधिकारियों ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर अमेरिकी मीडिया को बताया है कि वे यूक्रेन के दावे पर भरोसा करते हैं।

ग़ौरतलब है कि रूस के इस युद्धक जहाज़ पर 510 नौसैनिक तैनात थे. समुद्र के रास्ते यूक्रेन के ख़िलाफ़ अभियान का नेतृत्व इसी जहाज़ से हो रहा था। इस वजह से यह जहाज एक अहम सैन्य एवं प्रतीकात्मक निशाना।

रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को जब हमला किया, तो उसी दिन मोस्कवा चर्चा में आ गया था। उसने काला सागर स्थित ‘स्नेक’ द्वीप की रक्षा में लगे यूक्रेनी सैनिकों के छोटे-से दल को सरेंडर करने को कहा था। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।

मोस्कवा का इतिहास

यह युद्धपोत मूलत: सोवियत संघ के जमाने में बना और इसने अस्सी के दशक में अपने मिशन की शुरुआत की थी। यह साल 2000 से ही काले सागर में रूस का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

2014 में क्राइमिया को कब्ज़े में लेने के बाद से ही काले सागर में रूसी सेना का दबदबा रहा है। काले सागर में रूस के नौसेना बेड़े हमेशा ही प्रभावी रहे हैं।

मौजूदा संघर्ष के दौरान भी काले सागर में मौजूद इस बेड़े से यूक्रेन में कहीं भी मिसाइल दागी जा सकती है। इसके साथ ही मारियुपोल को अपने क़ब्ज़े में लेने के प्रयासों में भी इन नौसेना बेड़ों का काफी महत्व रहा है।

यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में मोस्कवा को यूक्रेन के दक्षिणी शहर ‘मायकोलाइव’ के पास तैनात किया गया था। मालूम हो कि इस शहर में रूस ने हाल में भारी बमबारी की है।

इससे पहले रूस ने इस युद्धपोत को सीरिया के संघर्ष में तैनात किया था। वहां इसने सीरिया में मौजूद रूसी सेना को नौसैनिक सुरक्षा प्रदान की थी।

दावा किया जाता है कि इस युद्धपोत पर कथित तौर पर 16 वल्कन एंटी-शिप मिसाइलों के अलावा कई एंटी-सबमरीन और माइन-टॉरपीडो जैसे हथियार भी मौजूद थे।

ये भी कहा जा रहा है कि यदि इस युद्धपोत पर यूक्रेन के हमले की पुष्टि हो सकी तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुश्मन के हमले के बाद डूबने वाला यह सबसे बड़ा जंगी जहाज होगा। इस युद्धपोत का वज़न 12,490 टन बताया जाता है।

यूक्रेन पर हमले के बाद रूस ने अपना यह दूसरा बड़ा जहाज़ खोया है। इससे पहले मार्च में यूक्रेन के हमले से ‘सेराटोव’ लैंडिंग जहाज बर्दियांस्क के बंदरगाह में बर्बाद हो गया था।

नेप्च्यून मिसाइलों की ख़ासियत

यूक्रेन का दावा है कि उसके दो नेप्च्यून मिसाइलों ने रूस के प्रमुख युद्धपोत को निशाना बनाया है।

साल 2014 में क्राइमिया पर क़ब्ज़ा करने के बाद काले सागर में रूस के बढ़ते नौसैनिक ख़तरे के जवाब में कीएव के सैन्य इंजीनियरों ने इस मिसाइल सिस्टम को तैयार किया था।

कीएव पोस्ट के अनुसार, पिछले साल मार्च महीने में यूक्रेन की नौसेना को 300 किलोमीटर रेंज पर निशाना लगाने वाली नेप्च्यून मिसाइलों की पहली खेप मिली थी।

रूस के हमले के बाद यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सैन्य मदद और हथियार मिल रहे हैं। इस सहायता में 10 करोड़ डॉलर के एंटी-एयरक्राफ़्ट और एंटी टैंक मिसाइलें भी शामिल हैं। ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह ही घोषणा की थी वो ये सारी सहायता भेज रहा है।

SOURCE-BBC NEWS

PAPER-G.S.2

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