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राज्य ऊर्जा व जलवायु सूचकांक

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नीति आयोग ने राज्य ऊर्जा व जलवायु सूचकांक (State Energy and Climate Index) लॉन्च किया है। यह अपनी तरह का पहला सूचकांक है जिसका उद्देश्य भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ऊर्जा और जलवायु क्षेत्र में किए गए प्रयासों को ट्रैक करना है। स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के संबंध में देश के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए इस सूचकांक के मापदंडों को तैयार किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • इस सूचकांक ने भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऊर्जा खपत, ऊर्जा पहुंच, पर्यावरण की सुरक्षा और ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए किए गए प्रयासों के आधार पर रैंक किया है।
  • इस सूचकांक ने राज्य स्तर पर सुलभ, सस्ती, स्वच्छ और कुशल ऊर्जा संक्रमण के एजेंडे की ओर बढ़ने में भी मदद की है।
  • इस सूचकांक ने जलवायु और ऊर्जा के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहित किया है।

सूचकांक के पैरामीटर

इस सूचकांक द्वारा छह मापदंडों का उपयोग किया गया है जो हैं :

  • पहुंच सामर्थ्य और ऊर्जा की विश्वसनीयता
  • ‘डिस्कॉम’ (विद्युत वितरण कंपनियां) का प्रदर्शन
  • ऊर्जा दक्षता
  • स्वच्छ ऊर्जा पहल
  • नई पहल
  • पर्यावरणीय स्थिरता

इन मापदंडों को आगे 27 संकेतकों में विभाजित किया गया है। SECI राउंड I के समग्र स्कोर के आधार पर देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भौगोलिक अंतर और आकार के आधार पर छोटे राज्यों, बड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में रैंक किया गया है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन समूहों यानी अचीवर्स, फ्रंट रनर और एस्पिरेंट्स में वर्गीकृत किया गया है।

बड़े राज्यों में शीर्ष 3 राज्य

  1. गुजरात
  2. केरल
  3. पंजाब

छोटे राज्यों में शीर्ष 3 राज्य

  1. गोवा
  2. त्रिपुरा
  3. मणिपुर

केंद्र शासित प्रदेशों में शीर्ष 3 क्षेत्र

  1. चंडीगढ़
  2. दिल्ली
  3. दमन और दीव/दादरा और नगर हवेली

बड़े राज्यों में असंतोषजनक प्रदर्शन

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों को इस सूचकांक में सबसे नीचे रखा गया।

नीति आयोग (राष्‍ट्रीय भारत परिवर्तन संस्‍थान) भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्‍थान है जिसे योजना आयोग के स्‍थान पर बनाया गया है।[1] 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्‍थान के सम्बन्ध में जानकारी देने वाला मन्त्रिमण्डल का प्रस्‍ताव जारी किया गया। यह संस्‍थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्‍मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। नीति आयोग, केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के सम्बन्ध में प्रासंगिक महत्‍वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्‍ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्‍ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्‍य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्‍ट विषयों पर आधारित समर्थन से सम्बन्धित मामले शामिल होंगे। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त हैं। नीति आयोग के सदस्यों में विवेक देवराय, वी॰के॰ सारस्वत, रमेश चन्द्र और विनोद पाल शामिल हैं। योजना आयोग और नीति आयोग में मूलभूत अन्तर है कि इससे केन्द्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में राज्यों की वास्तविक और सतत भागीदारी से बदल दिया जाएगा।

नीति आयोग ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तन्त्र विकसित करेगा और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुँचायेगा। आयोग राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिशनरों तथा अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाएगा। इसके अतिरिक्‍त आयोग कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर बल देगा।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1PRE

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