प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि पंचायतें भारतीय लोकतंत्र का आधारस्तंभ हैं।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;
“आप सभी को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। पंचायतें भारतीय लोकतंत्र का आधारस्तंभ हैं, जिनकी मजबूती में ही नए भारत की समृद्धि निहित है। आइए, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी पंचायतों को और अधिक सशक्त करने का संकल्प लें।”
पंचायती राज व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है ये प्राचीन काल से चली आ रही एक बेहतरीन व्यवस्था है।
पंचायती राज के मायने और इतिहास
पंचायत शब्द दो शब्दों ‘पंच’ और ‘आयत’ के मेल से बना है। पंच का अर्थ है पांच और आयत का अर्थ है सभा। पंचायत को पांच सदस्यों की सभा कहा जाता है जो स्थानीय समुदायों के विकास और उत्थान के लिए काम करते हैं और स्थानीय स्तर पर कई विवादों का हल निकालते हैं। पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है। रिपन ने 1882 में स्थानीय संस्थाओं को उनका लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया था। अगर देश में किसी गांव की हालत खराब है तो उस गांव को सशक्त और विकसित बनाने के लिए ग्राम पंचायत उचित कदम उठाती है। बलवंत राय मेहता समिति के सुझावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर ज़िले में पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया था। इसके कुछ दिनों के बाद आंध्र प्रदेश में भी इसकी शुरुआत हुई थी।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था
साल 1957 में बलवंत राय मेहता कमेटी का गठन हुआ था जिसने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की बात कही थी। इसके बाद 1977 में अशोक मेहता समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें उन्होंने द्विस्तरीय शासन व्यवस्था का जिक्र किया था लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था। बलवंत राय मेहता कमेटी के सुझावों को सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1959 में लागू करवाया था। 1. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत की व्यवस्था 2. ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति की व्यवस्था और 3. जिला स्तर पर जिला परिषद की व्यवस्था की गई।
पंचायती राज दिवस की शुरुआत
पंचायती राज दिवस पहली बार 24 अप्रैल, 2010 को मनाया गया था। यह दिन 1992 में संविधान के 73वें संशोधन के अधिनियमन का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक संशोधन के जरिए जमीनी स्तर की शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया गया और पंचायती राज नाम की एक संस्था की बुनियाद रखी गई। पंचायती राज मंत्रालय हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है। 73वें संशोधन के तहत संविधान में भाग-9 जोड़ा गया था। जिसके अंतर्गत पंचायती राज से संबंधित उपबंधों की बात की गई है। साल 2010 से 24 अप्रैल को हर साल ये दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन बेहतर प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत करने का भी प्रावधान किया गया है।
पंचायती राज दिवस थीम और पुरस्कार
भारत इस बार 12वां पंचायती राज दिवस मना रहा है। इस साल समारोह बिना किसी विशेष थीम या विषय के आयोजित किया जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में ग्राम स्तर के समारोह, सेमिनार और कई और दूसरे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पीएम मोदी इस बार जम्मू के सांबा जिले में पंचायती राज दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। इस साल मुख्य आकर्षण पुरस्कार समारोह होगा जो देश में पंचायतों के बेहतर कामों को एक तरह से मान्यता देता है. ये पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाएंगे।
- दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार
- नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार
- ई-पंचायत पुरस्कार
- ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार
- बाल हितैषी पंचायत अवॉर्ड
भारत में पंचायती राज के गठन और उसे सशक्त करने की अवधारणा महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित है। आज डिजिटल इंडिया के जमाने में कई योजनाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए अंजाम दिया जा रहा है। पंचायतों के सशक्तिकरण और विकास के लिए देश में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2