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विश्व प्रवासी पक्षी दिवस

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हर साल, विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Bird Day) मई और अक्टूबर के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है। इस साल, यह मई 8 को मनाया जा रहा है। पिछले विश्व प्रवासी पक्षी दिवस अक्टूबर 10 मनाया गया वें।

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह प्रवासी पक्षियों के आवासों, विशेष रूप से आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करता है।

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Bird Day)

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का आयोजन Convention on Migratory Species, Environment for the Americas और African – Eurasian Migratory Waterbird Agreement द्वारा किया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) द्वारा भी मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र ने 2006 में विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की स्थापना की थी। इस आयोजन की स्थापना United Nations Agreement on Conservation of African-Eurasian Migratory Waterbirds के तहत हुई थी।

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का आयोजन Convention on Migratory Species (CMS), Environment for the Americas and the African – Eurasian Waterbird Agreement (AEWA) द्वारा किया जाता है। CMS और AEWA संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रशासित दो अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव संधियाँ हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ

  • IUCN एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। जो प्रकृति के संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के धारणीय उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करती है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विटज़रलैंड) में स्थित है।
  • IUCN द्वारा जारी की जाने वाली लाल सूची दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है।
  • IUCN द्वारा प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिये कुछ विशेष मापदंडों का उपयोग किया जाता है। ये मानदंड दुनिया की अधिकांश प्रजातियों के लिये प्रासंगिक हैं।

प्रवासी वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिये सम्मेलन

  • CMS संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसे बॉन कंवेंशन के नाम से भी जाना जाता है। CMS का उद्देश्य स्थलीय, समुद्री तथा उड़ने वाले अप्रवासी जीव जंतुओं का संरक्षण करना है।
  • यह कन्वेंशन अप्रवासी वन्यजीवों तथा उनके प्राकृतिक आवास पर विचार-विमर्श के लिये एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
  • इस संधि पर वर्ष 1979 में जर्मनी के बॉन में हस्ताक्षर किये गए थे। यह संधि वर्ष 1983 में लागू हुई थी।

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan for Conservation of Migratory Birds)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 10 अक्टूबर, 2020 को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की।

  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India-ZSI) ने पहली बार गुजरात में आयोजित सम्मेलन (COP 13) से पहले CMS के तहत भारत की प्रवासी प्रजातियों की सूची तैयार की थी। तब ZSI ने भारत के प्रवासी जीवों की कुल संख्या को 451 बताया गया था। निम्नलिखित छह प्रजातियों को बाद में इस सूची में जोड़ा गया था :
    1. एशियाई हाथी (Elephas maximus)
    2. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Ardeotis nigriceps)
    3. बंगाल फ्लोरिकन (Bengal florican)
    4. ओशनिक व्हाइट-टिप शार्क (Carcharhinus longimanus)
    5. यूरियाल (Ovis orientalis vignei)
    6. स्मूथ हैमरहेड शार्क (Sphyrna zygaena)

एशियाई हाथी

  • भारत सरकार ने भारतीय हाथी को राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित किया है। भारतीय हाथी को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध करके कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है।
  • CMS अभिसमय के परिशिष्ट I में भारतीय हाथी के शामिल होने से भारत की सीमाओं पर इसके प्राकृतिक प्रवास को सुरक्षित किया जा सकेगा। इससे हमारी भावी पीढ़ियों के लिये इस लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
  • मुख्य भूमि से संबंधित एशियाई या भारतीय हाथी भोजन तथा आवास की खोज में एक राज्य से दूसरे राज्य तथा एक देश की सीमा से दूसरे देश की सीमा में विचरण करते हुए चले जाते हैं। अधिकांश एशियाई हाथी आवास स्थान की हानि एवं विखंडन, मानव-हाथी संघर्ष, अवैध शिकार तथा अवैध व्यापार जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
  • भारत मुख्यभूमि से संबंधित एशियाई हाथियों का प्राकृतिक घर है, इसलिये वह हाथियों के संरक्षण के लिये पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से लुप्तप्राय, संरक्षण पर निर्भर और पारगमन संकेतों को प्रदर्शित करने वाली प्रजाति है, इसका प्रवासन भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में इसके अवैध शिकार और विद्युत तारों से टकराने जैसे खतरों को उजागर करता है।
  • इसे CMS के परिशिष्ट I में शामिल करने का निर्णय अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण निकायों तथा मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौते द्वारा सुव्यवस्थित संरक्षण प्रयासों में सहयोगी होगा।
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है। इसकी लगभग 100–150 की संख्या में एक छोटी आबादी है जो भारत में राजस्थान के थार रेगिस्तान तक सीमित है। इस प्रजाति की 50 वर्षों (छह पीढ़ियों) के भीतर 90% आबादी कम हो गई है और भविष्य में इस पर खतरे बढ़ने की आशंका है।

बंगाल फ्लोरिकन

  • बंगाल फ्लोरिकन IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है। पारगमन प्रवासन के कारण आवास क्षेत्र में बदलाव तथा प्रवास के दौरान भारत-नेपाल सीमा पर विद्युत तारों की चपेट में आने से इनकी संख्या में निरंतर कमी आ रही है।
  • आवास कम होने और अत्यधिक शिकार के कारण इनकी आबादी कम हो रही है। यह प्रजाति असम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप में संरक्षित क्षेत्रों से बाहर प्रजनन नहीं करती हैं।
  • इसे CMS के परिशिष्ट I में शामिल करना संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा।
  • बंगाल फ्लोरिकन असम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप के संरक्षित क्षेत्रों से बाहर नहीं पाए जाते हैं।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

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