विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022 में भारत 150वें स्थान पर है। यह सूचकांक रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर (Reporters Sans Frontières – RSF) द्वारा जारी किया गया है।
मुख्य बिंदु
रैंकिंग 0 से 100 तक के स्कोर पर आधारित होती है। 100 अधिकतम अंक है जो दिया जा सकता है जबकि 0 सबसे खराब को दर्शाता है।
इस सूचकांक का मूल्यांकन मानदंड क्या है?
प्रत्येक क्षेत्र या देश का मूल्यांकन पाँच संकेतकों का उपयोग करके किया जाता है, जो हैं:
- कानूनी ढांचा
- राजनीतिक संदर्भ
- सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ
- आर्थिक संदर्भ
- सुरक्षा
सूचकांक में शीर्ष 5 देश कौन से हैं?
- नॉर्वे
- डेनमार्क
- स्वीडन
- एस्तोनिया
- फिनलैंड
सूचकांक में नीचे के 5 देश कौन से हैं?
- म्यांमार
- तुर्कमेनिस्तान
- ईरान
- इरिट्रिया
- उत्तर कोरिया
भारत के पड़ोसी देशों की रैंकिंग क्या है?
- नेपाल – 76
- श्रीलंका – 146
- पाकिस्तान – 157
- बांग्लादेश – 162
- चीन – 175
- म्यांमार – 176
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Reporters Sans Frontières)
RSF एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी और साथ ही एक गैर-लाभकारी संगठन है जो सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। RSF को यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय फ़्रैंकोफ़ोनी संगठन और यूरोप की परिषद में सलाहकार का दर्जा प्राप्त है। इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में स्थित है।
भारत का प्रदर्शन :
- परिचय :
- भारत 2022 में 180 देशों में 142वें में से आठ पायदान गिरकर 150वें स्थान पर आ गया है।
- भारत 2016 के सूचकांक में 133वें स्थान पर था इसके बाद से उसकी रैंकिंग में लगातार गिरावट आ रही है।
- रैंकिंग में गिरावट के पीछे का कारण “पत्रकारों के खिलाफ हिंसा” और “राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया” में वृद्धि होना है।
- भारत की रैंकिंग में गिरावट के कारण :
- सरकार का दबाव :
- सूचकांक के अनुसार, भारत में मीडिया लोकतांत्रिक रूप से प्रतिष्ठित राष्ट्रों की तुलना में “तेज़ी से सत्तावादी और/या राष्ट्रवादी सरकारों” के दबाव का सामना कर रहा है।
- नीतिगत ढाँचे में दोष :
- यद्यपि नीतिगत ढाँचा सैद्धांतिक रूप से सुरक्षात्मक है, यह मानहानि, राजद्रोह, न्यायालय की अवमानना और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाते हुए उन्हें “राष्ट्र-विरोधी” करार देता है।
- मीडियाकर्मियों के लिये भारत दुनिया का सबसे खतरनाक देश :
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मीडियाकर्मियों के लिये भी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है।
- पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं द्वारा घात लगाकर हमला करने और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा घातक प्रतिशोध सहित सभी प्रकार की शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मीडियाकर्मियों के लिये भी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है।
- कश्मीर मुद्दा :
- कश्मीर में स्थिति “चिंताजनक” बनी हुई है और पत्रकारों को अक्सर पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों द्वारा परेशान किया जाता है।
- सरकार का दबाव :
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता :
- संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, जो अनुच्छेद 19 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो ‘भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण’ से संबंधित है।
- प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत संरक्षित है, जिसके अनुसार “सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा”।
- रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य,1950 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।
- हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी अपने आप में पूर्ण नहीं है। अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर कुछ प्रतिबंधों को आरोपित किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
- भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या न्यायालय की अवमानना, मानहानि, किसी अपराध के लिये उकसाना।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2