हर साल, विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है। इस वर्ष, विश्व मलेरिया दिवस की थीम निम्नलिखित है :
थीम: Harness innovation to reduce the malaria disease burden and save lives.
विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day)
विश्व मलेरिया दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिह्नित 11 आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है, अन्य दस विश्व एड्स दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस, विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व रोगी सुरक्षा दिवस, विश्व रक्तदाता दिवस, विश्व स्वास्थ्य दिवस और विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह है।
विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र द्वारा की गई थी। पहले इसे व्यापक रूप से अफ्रीकी मलेरिया दिवस के रूप में जाना जाता था।
मलेरिया
मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है। मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से यह बीमारी इंसानों में फैलती है।
भारत में मलेरिया (Malaria in India)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत वैश्विक मलेरिया के 3% का प्रतिनिधित्व करता है। भारत ने एक बार मलेरिया को लगभग खत्म कर दिया था। हालाँकि, मलेरिया 21वीं सदी की शुरुआत में भारत वापस आया। 2009 में, भारत में 1.5 मिलियन मलेरिया के मामले थे।
मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (National Strategic Plan for Elimination of Malaria)
यह योजना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना को मलेरिया की वैश्विक तकनीकी रणनीति (2016-2030) के आधार पर तैयार किया गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की कि, 2020 में, 116 भारतीय जिलों में शून्य मलेरिया के मामले दर्ज किए गए।
मलेरिया उन्मूलन (Malaria Elimination)
यूरोप, अमेरिका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में मलेरिया को समाप्त कर दिया गया है। हालाँकि, यह रोग इन क्षेत्रों में दवा-प्रतिरोधी और कीटनाशक-प्रतिरोधी के रूप में फिर से उभर रहा है।
मलेरिया
मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह 52.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा 20 से 30 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है।
मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को ‘मलेरिया परजीवी’ कहते हैं।
मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है।
मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियन्त्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों में बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र में चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हें फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं।
SOURCE-DANIK JAGRAN
PAPER-G.S.1PRE