World Federation of Haemophilia द्वारा हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस मनाया जाता है।
क्या है हीमोफीलिया?
ये एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है। जब शरीर का कोई हिस्सा कट जाता है तो ख़ून में थक्के बनाने के लिए ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं। इससे ख़ून बहना अपने आप रुक जाता है।
जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनमें थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं। इसका मतलब है कि उनका ख़ून ज़्यादा समय तक बहता रहता है। “हीमोफीलिया दो तरह का होता है। हीमोफीलिया ‘ए’ में फैक्टर 8 की कमी होती और हीमोफीलिया ‘बी’ में घटक 9 की कमी होती है। दोनों ही ख़ून में थक्का बनाने के लिए ज़रूरी हैं।”
हीमोफीलिया के लक्षण
इसके लक्षण हल्के से लेकर बहुत गंभीर तक हो सकते हैं। ये ख़ून में मौजूद थक्कों के स्तर पर निर्भर करता है। लंबे समय तक रक्तस्राव के अलावा भी इस बीमारी के दूसरे लक्षण होते हैं।
- नाक से लगातार ख़ून बहता है।
- मसूड़ों से ख़ून निकलता है।
- त्वचा आसानी से छिल जाती है।
- शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होता है।
- कई बार हीमोफीलिया में सिर के अंदर भी रक्तस्राव होता है। इसमें बहुत तेज़ सिरदर्द, गर्दन में अकड़न होती उल्टी आती है। इसके अलावा धुंधला दिखना, बेहोशी और चेहरे पर लकवा होने जैसे लक्षण भी होते हैं। हालांकि, ऐसा बहुत कम मामलों में होता है।
हीमोफीलिया के तीन स्तर होते हैं। हल्के स्तर में शरीर में थक्के के बनाने वाले घटक 5 से 50 प्रतिशत तक होते हैं। मध्यम स्तर में ये घटक 1 से 5 प्रतिशत होते हैं और गंभीर स्तर के 1 प्रतिशत से भी कम होते हैं।
ये बीमारी बच्चे के जन्म से भी हो सकती है। कई बार जन्म के बाद ही इसका पता चल जाता है। अगर हीमोफीलिया मध्यम और गंभीर स्तर का है तो बचपन में आंतरिक स्राव के चलते कुछ लक्षण सामने आने लगते हैं।
लेकिन, गंभीर स्तर के हीमोफीलिया में खतरा बहुत ज़्यादा होता है। कहीं ज़ोर से झटका लगने पर भी आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो सकता है।
लेकिन, अगर बीमारी हल्के स्तर की है तो इसका आसानी से पता नहीं चल पाता. अमूमन जब बच्चे का दांत निकलता है और ख़ून बहना बंद नहीं होता तब इस बीमारी का पता चल पाता है।
कई बार घुटने में चोट लगती है और ख़ून अंदर ही जम जाता है जिससे घुटने में सूजन आ जाती है।
एक समय पहले हीमोफीलिया का इलाज मुश्किल था, लेकिन अब घटकों की कमी होने पर इन्हें बाहर से इंजेक्शन के ज़रिये डाला जा सकता है। अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाइयों से भी इलाज हो सकता है।
अगर माता या पिता को ये बीमारी तो उनसे बच्चे में आने की संभावना होती है। ऐसे में पहले ही इसकी जांच कर ली जाती है।
वहीं, भाई-बहन में से किसी एक को है, लेकिन दूसरे में उस समय इसके लक्षण नहीं है तो आगे चलकर भी ये बीमारी होने की आशंका बनी रहती है।
विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Haemophilia Day)
World Federation of Haemophilia द्वारा 1989 से यह दिवस मनाया जा रहा है। जागरूकता बढ़ाने और विकार से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर साल दुनिया में कई प्रतिष्ठित भवनों को लाल रंग में रोशन किया जाता है।
17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस क्यों मनाया जाता है?
फ्रैंक श्नेबल (Frank Schnabel) के जन्मदिन को मनाने के लिए 17 अप्रैल को दिन मनाया जाता है। फ्रैंक ने World Federation of Haemophilia की स्थापना की थी।
World Federation of Haemophilia
इसकी स्थापना 1963 में हुई थी। World Federation of Haemophilia का मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है।
महत्व
75% रक्तस्राव विकार से प्रभावित लोग इसे नहीं जानते हैं। कई अन्य को उचित देखभाल नहीं मिलती है। इसलिए, इस दिन को मनाने और बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE