Register For UPSC IAS New Batch

वीर बाल दिवस

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर घोषणा की है कि साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत की याद में इस वर्ष से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा श्री गुरु गोबिंद सिंह के उन दोनों साहबजादों- साहिबजादा जोरावर सिंह (9) और साहिबजादा फतेह सिंह (7) और माता गुजरी की शहादत का इतिहास, जनके बलिदान को याद कनरे के लिए वीर बाल दिवस मनाया जाएगा।

वर्ष 1705 की है। मुगलों ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से बदला लेने के लिए जब सरसा नदी पर हमला किया तो गुरु जी का परिवार उनसे बिछड़ गया था। छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी अपने रसोईए गंगू के साथ उसके घर मोरिंडा चले गए। रात को जब गंगू ने माता गुजरी के पास मुहरें देखी तो उसे लालच आ गया। उसने माता गुजरी और दोनों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह को सरहिंद के नवाब वजीर खां के सिपाहियों से पकड़वा दिया।  वजीर खां ने छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह तथा माता गुजरी जी को पूस महीने की तेज सर्द रातों में तकलीफ देने के लिए ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया। यह चारों ओर से खुला और उंचा था। इस ठंडे बुर्ज से ही माता गुजरी जी ने छोटे साहिबजादों को लगातार तीन दिन धर्म की रक्षा के लिए सीस न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया था। यही शिक्षा देकर माता गुजरी जी साहिबजादों को नवाब वजीर खान की कचहरी में भेजती रहीं। 7 व 9 वर्ष से भी कम आयु के साहिबजादों ने न तो नवाब वजीर खां के आगे शीश झुकाया और न ही धर्म बदला। इससे गुस्साए वजीर खान ने 26 दिसंबर, 1705 को दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। जब छोटे साहिबजादों की कुर्बानी की सूचना माता गुजरी जी को ठंडे बुर्ज में मिली तो उन्होंने भी शरीर त्याग दिया। इसी स्थान पर आज गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब बना है। इसमें बना ठंडा बुर्ज सिख इतिहास की पाठशाला का वह सुनहरी पन्ना है, जहां साहिबजादों ने धर्म की रक्षा के लिए शहादत दी थी। मासूम साहिबजादों की इस शहादत ने सभी को हिला कर रख दिया था। कहा जाता है छोटे साहिबजादों की शहादत ही आगे चलकर मुगल हकूमत के पतन का कारण बनी थी। श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों में दो अन्य चमकौर की जंग में शहीद हुए थे। गुरु गोबिद ने अपने दो पुत्रों को स्वयं आशीर्वाद देकर जंग में भेजा था। चमकौर की जंग में 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की थी। 6 दिसंबर, 1705 को हुई इस जंग में बाबा अजीत सिंह (17) व बाबा जुझार सिंह (14) ने धर्म के लिए बलिदान दिया था।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.1PRE

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button