राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (13 मई, 2002) राष्ट्रपति भवन में पूर्व राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने श्री फखरुद्दीन अली अहमद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
फखरुद्दीन अहमद जन्म 13 मई, 1905 को दिल्ली के हौज़ काज़ी एरिया में हुआ था। उनके पिता का नाम ज़ल्नुर अली अहमद था। वे असम में एक आर्मी डॉक्टर थे। उनके दादा का नाम खलीलुद्दीन अहमद था, जो गोलाघाट शहर के निकट कचारीहाट के काज़ी थे। फखरुद्दीन अली अहमद एक नामी और संपन्न मुस्लिम घराने से ताल्लुख रखते थे। उनका परिवार गैर रूढ़िवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं देश भक्ति की भावना रखता था। फखरुद्दीन अहमद की माता जी लाहोर के नबाब की बेटी थी।
फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) की प्रारंभिक शिक्षा उत्तर-प्रदेश के गोंडा जिले के सरकारी हाई स्कूल में शुरू हुई थी. जब वे सातवीं कक्षा में थे, तब उनके पिता का तबादला दिल्ली में हो गया। 1918 में वे दिल्ली आ गये। मैट्रिक की परीक्षा उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूल से 1921 में उत्तीर्ण की। आगे की पढाई के लिए उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया। तत्पश्चात उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने भारत को छोड़ दिया और इंग्लैंड चले गए. जहां उन्होंने 1923 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अंतर्गत सेंट कैथरीन कॉलेज में दाखिला लिया। 1927 में उन्होंने कानून की शिक्षा पूर्ण कर बैरिस्टर बन गए। 1928 में विधि की शिक्षा संपन्न की। उसके बाद 1928 में वे भारत लौट आए लाहौर हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी।
फखरुद्दीन अहमद 1925 में इंग्लैंड में जवाहर लाल नेहरु से मिले, वे उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुए, तभी से उन्होंने भारत की राजनीती से जुड़ने का फैसला कर लिया था। फखरुद्दीन अहमद नेहरु जी को अपना मेंटर मानते थे, इनके बीच में मित्रता भी अच्छी थी। फखरुद्दीन अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) के राजनैतिक सफ़र की शुरुवात 1928 में भारत वापस आने के बाद हुई, जब वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। थोड़े ही समय में वे नेहरूजी, सुभाषचंद्र बोस और भी कांग्रेस नेताओं के करीबी हो गए। इसके साथ ही वे स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े। 1935 में फखरुद्दीन अहमद असम प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुखिया के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद 1937 में वे असम लेजिस्लेटिव असेम्बली में मुस्लिम सीट से निर्वाचित हुए एवं वित्त और राजस्व मंत्री भी बने। इन्हें असम राज्य की बड़ी ज़िम्मेदारियां दी गईं। कई बार उन्हें जेल यातनाये भी सहन करनी पड़ी। 1940 में महात्मा गाँधी के साथ सत्याग्रह आन्दोलन में इन्होंने हिस्सा लिया, जिसके लिए इन्हें जेल भी हुई। 1942 में इन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में भी हिस्सा लिया था, हिसके बाद इन्हें फिर जेल हुई थी।
स्वतंत्रता के बाद फखरुद्दीन अहमद का राजनैतिक सफ़र –
आजादी के बाद 1952 में फखरुद्दीन अहमद राज्यसभा के सदस्य बन गए, इसके साथ ही उन्होंने असम के एडवोकेट जनरल का पदभार संभाला, जिस पद पर वे कुछ समय तक रहे। 1957 में उन्होंने यू.एन.ओ. में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया, इसके साथ ही नेहरु जी ने इन्हें कैबिनेट मंत्रिमंडल से जुड़ने को बोला। 1962 में वे फिर से असम विधानसभा के सदस्य बने, इस दौरान उन्होंने वित्त, कानून और पंचायत विभागों को संभाला। 1964 से 1974 तक वे कांग्रेस कार्य समिति और केन्द्रीय संसदीय बोर्ड में रहे। जनवरी 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने केबिनेट में शामिल किया और उनको सिंचाई, शिक्षा, औद्योगिक विकास, कृषी एवं ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। इसके बाद असम से उन्हें राज्यसभा की सीट मिल गई और वे संसद पहुँच गए। इन्होंने शिक्षा मंत्री के रूप में भी 14 नवम्बर 1966 से 12 मार्च 1967 तक कार्य किया। 1971 में बारपेटा निर्वाचन क्षेत्र से फखरुद्दीन अहमद को लोकसभा सीट मिल गई और वे खाद्य मंत्री के रूप में नियुक्त हुए। 1974 तक उन्होंने इस पद पर कम किया।
राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद (President Fakhruddin Ali Ahmed) –
1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद, फखरुद्दीन अहमद ने नेहरू और उनके परिवार के साथ अपने गहरे सहयोग की वजह से इंदिरा गांधी के साथ पार्टी में रहने का निर्णय लिया। इसके बाद इंदिरा जी ने ही 1974 में फखरुद्दीन अली अहमद का नाम राष्ट्रपति पद के लिए घोषित किया। 25 अगस्त, 1974 को फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) को राष्ट्रपति पद से नवोदित किया गया। वे डॉ जाकिर हुसैन के बाद दुसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे। वे एक गंभीर और अनुकरणीय व्यक्तित्व वाले इंसान थे। वे एक संपन्न परिवार के थे, जिसकी झलक उनके व्यक्तित्व में साफ नजर आती थी। शोषण के खिलाफ फखरुद्दीन अली सबसे आगे होते थे। 1975 में आपातकाल के दौरान, फखरुद्दीन अहमद के विरोधियों ने दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इशारे पर हस्ताक्षर किये थे।
फखरुद्दीन अहमद मृत्यु (Fakhruddin Ali Ahmed death) –
11 फ़रवरी सन 1977, फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) का दिल का दौरा पड़ने से उनके ऑफिस में ही निधन हो गया था। भारत के चौथे राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद घनिष्ट मित्र थे। ये संयोग ही है की दोनों राष्ट्रपति थे और दोनों की म्रत्यु राष्ट्रपति भवन में दिल का दौरा पड़ने से ही हुई।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2